विलियम जेम्स : वैरायटीज़ ऑफ़ रिलिजस एक्स्पीरिअन्स
(William James : Varieties of Religious Experience),
ऍविलिन अन्डरहिल : मिस्टीसिज़्म
(Evalin Underhill : Mysticism),
ऍल्डुअस हक्सले : द पेरेनियल फ़िलॉसफ़ी
(Aldous Huxley : The Perennial Philosophy)
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रहस्यदर्शियों के जीवन से संबंधित ज्ञान एवं अज्ञान, उनके उपदेशों और उनकी अज्ञानता, उनकी सांस्कृतिक एवं आनुवांशिकीय तुलनात्मकता आदि के बारे में जैसे-जैसे हम अधिक गहरा चिन्तन करेंगे व रहस्यवाद की आन्तरिक भावभूमि के परिप्रेक्ष्य में इस दृष्टि से विचार करेंगे, कि कैसे हमें उससे आत्मा की आन्तरिक प्रगति के अंधकारपूर्ण पथ पर पग पग पर नया आलोक प्राप्त हो, वैसे-वैसे उनके बारे में निश्चयपूर्वक कुछ कह पाने में, कोई निर्णय देने या उन्हें अस्वीकार कर पाने में हम अपने-आपको असमर्थ पाते चले जाएँगे ।
रहस्यदर्शियों के अनुभवों का वास्तव में इतना बड़ा संग्रह पहले ही से उपलब्ध है जो हमें अत्यन्त प्रभावित कर सकता है ।
विलियम जेम्स : वैरायटीज़ ऑफ़ रिलिजस एक्स्पीरिअन्स / धार्मिक अनुभव के विभिन्न प्रकार
(William James : Varieties of Religious Experience),
ऍवलिन अन्डरहिल : मिस्टीसिज़्म / रहस्यवाद
(Evalin Underhill : Mysticism),
ऍल्डुअस हक्सले : द पेरेनियल फ़िलॉसफ़ी, चिरंतन तत्वदर्शन
(Aldous Huxley : The Perennial Philosophy)
आदि ग्रन्थ ऐसी ही बहुत सी पुस्तकों में से कुछ हैं । इस प्रकार की जानकारियों के संग्रह का विस्तारपूर्वक विश्लेषण करने के लिए न जाने कितने खंडों में यह कार्य हो पाएगा, कुछ कहना कठिन है, और वैसे भी यह कार्य हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं आता । यहाँ यह भी कहना उचित होगा कि इस अध्ययन से हमें हमारी कठिनाइयों से मुक्ति मिलने में, उन कठिनाइयों के निवारण में कोई सहायता ही मिल सकती है । यद्यपि हमें ऐसा भी लग सकता है जैसे कोई बड़ा खज़ाना हमारे हाथ लग गया हो,लेकिन उस खज़ाने की चाबी हमारे पास नहीं होती । ये अनुभूतियाँ फिर भी, "गहन-आनंदातिरेक" की धुँधली आकृतियों जैसी प्रतीत होती हैं, पर यदि हमें अवसर मिल सके कि हम स्वयं भी इन अनुभूतियों से गुज़र सकें, तो भी हमें उनका आशय समझने के लिए किसी की सहायता की आवश्यकता अनुभव होगी । लेकिन इसका एक दुःखद पहलू यह भी है कि हमारे लिए वे किन्हीं प्रेरणाजनित, -किसी अन्य समय के अनुभवों की प्रतिध्वनियों जैसी अस्पष्ट आकृतियाँ भर हो सकती हैं --किसी अन्य की भावानुभूतियों के संस्मरणों के माध्यम से अपने प्रश्नों के उत्तर पाने की चेष्टा करना केवल हमारी आशा-अपेक्षाओं के अनुकूल उत्तर प्राप्त करने जैसा होगा ।
किंतु साथ ही यह भी सच है कि उन्हें पढ़ने पर हम मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं, किसी व्यापक और विराट वास्तविकता की क्षीण आभा हमारे मन में कौंधने लगती है । इस छोटी सी पुस्तक को लिखने का जो प्रयोजन है, उसका सच्चा औचित्य बस यही है कि एक ऋषि द्वारा अनुभूत चिरंतन सत्य की, उसके ही शब्दों में की गई अभिव्यक्ति "उपदेश सार" का अंग्रेज़ी भाषान्तर (The Quintessence of Wisdom) उपलब्ध हो ।
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०००
-----निरंतर---- ३.
(William James : Varieties of Religious Experience),
ऍविलिन अन्डरहिल : मिस्टीसिज़्म
(Evalin Underhill : Mysticism),
ऍल्डुअस हक्सले : द पेरेनियल फ़िलॉसफ़ी
(Aldous Huxley : The Perennial Philosophy)
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रहस्यदर्शियों के जीवन से संबंधित ज्ञान एवं अज्ञान, उनके उपदेशों और उनकी अज्ञानता, उनकी सांस्कृतिक एवं आनुवांशिकीय तुलनात्मकता आदि के बारे में जैसे-जैसे हम अधिक गहरा चिन्तन करेंगे व रहस्यवाद की आन्तरिक भावभूमि के परिप्रेक्ष्य में इस दृष्टि से विचार करेंगे, कि कैसे हमें उससे आत्मा की आन्तरिक प्रगति के अंधकारपूर्ण पथ पर पग पग पर नया आलोक प्राप्त हो, वैसे-वैसे उनके बारे में निश्चयपूर्वक कुछ कह पाने में, कोई निर्णय देने या उन्हें अस्वीकार कर पाने में हम अपने-आपको असमर्थ पाते चले जाएँगे ।
रहस्यदर्शियों के अनुभवों का वास्तव में इतना बड़ा संग्रह पहले ही से उपलब्ध है जो हमें अत्यन्त प्रभावित कर सकता है ।
विलियम जेम्स : वैरायटीज़ ऑफ़ रिलिजस एक्स्पीरिअन्स / धार्मिक अनुभव के विभिन्न प्रकार
(William James : Varieties of Religious Experience),
ऍवलिन अन्डरहिल : मिस्टीसिज़्म / रहस्यवाद
(Evalin Underhill : Mysticism),
ऍल्डुअस हक्सले : द पेरेनियल फ़िलॉसफ़ी, चिरंतन तत्वदर्शन
(Aldous Huxley : The Perennial Philosophy)
आदि ग्रन्थ ऐसी ही बहुत सी पुस्तकों में से कुछ हैं । इस प्रकार की जानकारियों के संग्रह का विस्तारपूर्वक विश्लेषण करने के लिए न जाने कितने खंडों में यह कार्य हो पाएगा, कुछ कहना कठिन है, और वैसे भी यह कार्य हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं आता । यहाँ यह भी कहना उचित होगा कि इस अध्ययन से हमें हमारी कठिनाइयों से मुक्ति मिलने में, उन कठिनाइयों के निवारण में कोई सहायता ही मिल सकती है । यद्यपि हमें ऐसा भी लग सकता है जैसे कोई बड़ा खज़ाना हमारे हाथ लग गया हो,लेकिन उस खज़ाने की चाबी हमारे पास नहीं होती । ये अनुभूतियाँ फिर भी, "गहन-आनंदातिरेक" की धुँधली आकृतियों जैसी प्रतीत होती हैं, पर यदि हमें अवसर मिल सके कि हम स्वयं भी इन अनुभूतियों से गुज़र सकें, तो भी हमें उनका आशय समझने के लिए किसी की सहायता की आवश्यकता अनुभव होगी । लेकिन इसका एक दुःखद पहलू यह भी है कि हमारे लिए वे किन्हीं प्रेरणाजनित, -किसी अन्य समय के अनुभवों की प्रतिध्वनियों जैसी अस्पष्ट आकृतियाँ भर हो सकती हैं --किसी अन्य की भावानुभूतियों के संस्मरणों के माध्यम से अपने प्रश्नों के उत्तर पाने की चेष्टा करना केवल हमारी आशा-अपेक्षाओं के अनुकूल उत्तर प्राप्त करने जैसा होगा ।
किंतु साथ ही यह भी सच है कि उन्हें पढ़ने पर हम मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं, किसी व्यापक और विराट वास्तविकता की क्षीण आभा हमारे मन में कौंधने लगती है । इस छोटी सी पुस्तक को लिखने का जो प्रयोजन है, उसका सच्चा औचित्य बस यही है कि एक ऋषि द्वारा अनुभूत चिरंतन सत्य की, उसके ही शब्दों में की गई अभिव्यक्ति "उपदेश सार" का अंग्रेज़ी भाषान्तर (The Quintessence of Wisdom) उपलब्ध हो ।
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-----निरंतर---- ३.
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