आज की संस्कृत रचना
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द्राविडा च संस्कृता भाषा
भाषे द्वे तु नित्यशुद्धे ।
न लिख्येते भाषाऽन्यया
भाषे द्वे ऐश्वरादिव्ये ॥
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भावार्थ :
द्रविड (तमिल) तथा संस्कृत दोनों भाषाएँ नित्यशुद्ध हैं । इन्हें अन्य भाषा में लिखा जाना संभव ही नहीं है, क्योंकि ये ईश्वरीय (भगवान् शिवकृत) और दिव्य हैं ।
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drāviḍā ca saṃskṛtā bhāṣā
bhāṣe dve tu nityaśuddhe |
na likhyete bhāṣā:'nyayā
bhāṣe dve aiśvarādivye ||
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Meaning : Dravida (Precisely Old Tamil) and Sanskrit are the Languages that are ever pure. One can never write down (scribe) them in any other language correctly, these two languages are the very own Languages of Shiva / Maheshvara, and as such are divine as well.
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द्राविडा च संस्कृता भाषा
भाषे द्वे तु नित्यशुद्धे ।
न लिख्येते भाषाऽन्यया
भाषे द्वे ऐश्वरादिव्ये ॥
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भावार्थ :
द्रविड (तमिल) तथा संस्कृत दोनों भाषाएँ नित्यशुद्ध हैं । इन्हें अन्य भाषा में लिखा जाना संभव ही नहीं है, क्योंकि ये ईश्वरीय (भगवान् शिवकृत) और दिव्य हैं ।
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drāviḍā ca saṃskṛtā bhāṣā
bhāṣe dve tu nityaśuddhe |
na likhyete bhāṣā:'nyayā
bhāṣe dve aiśvarādivye ||
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Meaning : Dravida (Precisely Old Tamil) and Sanskrit are the Languages that are ever pure. One can never write down (scribe) them in any other language correctly, these two languages are the very own Languages of Shiva / Maheshvara, and as such are divine as well.
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