भाग्य, नियति और प्रारब्ध / Luck, destiny and fate.
--
Alone with everybody -Charles Bukowski.
--
The flesh covers the bone
and they put a mind
in there and
sometimes a soul,
and the women break
vases against the walls
and the men drink too
much
and nobody finds the
one
but keep
looking
crawling in and out
of beds.
flesh covers
the bone and the
flesh searches
for more than
flesh.
there's no chance
at all:
we are all trapped
by a singular
fate.
nobody ever finds
the one.
the city dumps fill
the junkyards fill
the madhouses fill
the hospitals fill
the graveyards fill
nothing else
fills.
--
Luck, destiny and fate.
--
Luck signifies our share / lot as a person / group, in the future.
Destiny is that inevitable happening, which we are drawn towards without our knowing / unknowing.
Fate is that which has already started to take shape and is going to result in a particular form.
And because 'this very moment' in its totality is a result of the whole accumulated 'past' we can never change its course / movement. Just because our desire / effort too is part of that result. This movement is itself 'Fate'.
We can say, the luck of different individuals is different from the rest, Destiny and Fate is the collective whole, every-one has to pass through.
--
चढ़ जाती है,
हड्डियों पर,
मांस की तह,
और कभी कभी पैदा हो जाता है उसमें,
एक अदद मस्तिष्क,
या इससे भी बढ़कर
एक जीव तक!
स्त्रियाँ तोड़ देती हैं गुलदान,
पटककर दीवार पर,
और पुरुष,
बहुत ज्यादा पीने लगते हैं,
और कोई
उस पर एक नज़र तक नहीं डालता,
बस हर कोई,
बिस्तर से बाहर,
और बिस्तर के भीतर,
आता जाता रहता है ।
चढ़ जाती है,
हड्डियों पर,
मांस की तह,
और मांस की तह,
और अधिक मांस की तलाश करती है,
जिसकी कोई उम्मीद नहीं होती।
हम सभी,
एक ही नियति में फँसे हैं,
जिसे कोई कभी नहीं पहचान पाता ।
शहर कचरेदान भरता है,
शहर के कूड़ेदान भर जाते हैं।
पागलखाने भर जाते हैं।
अस्पताल भर जाते हैं।
क़ब्रिस्तान भर जाते हैं।
पर कहीं कुछ नहीं भरता !
--
(मेरी समझ में,)
भाग्य / luck शब्द का अर्थ होता है, घटनाक्रम / भावी / भवितव्य / future में हमारा / व्यक्ति या समूह का अंश / share,
नियति / destiny शब्द का अर्थ होता है, वह भविष्य जिस ओर हम चाहे / अनचाहे ही खींचे जा रहे हैं ।
और प्रारब्ध / fate शब्द का अर्थ होता है, जिसका आरंभ हो चुका है ।
चूँकि ’यह क्षण’ सम्पूर्ण अतीत का ही सम्मिलित परिणाम है, इसलिए इसे ’बदल पाना’ संभव नहीं है, क्योंकि यह विचार भी अतीत का ही परिणाम मात्र है । घटनाक्रम की इस गति को ही प्रारब्ध कहते हैं ।
इसलिए हर मनुष्य का भाग्य बाकी सब से कमो-बेश कम-ज्यादा भिन्न होता है, नियति और प्रारब्ध सब का सम्मिलित रूप से एक अपरिहार्य बाध्यता है ।
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Alone with everybody -Charles Bukowski.
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The flesh covers the bone
and they put a mind
in there and
sometimes a soul,
and the women break
vases against the walls
and the men drink too
much
and nobody finds the
one
but keep
looking
crawling in and out
of beds.
flesh covers
the bone and the
flesh searches
for more than
flesh.
there's no chance
at all:
we are all trapped
by a singular
fate.
nobody ever finds
the one.
the city dumps fill
the junkyards fill
the madhouses fill
the hospitals fill
the graveyards fill
nothing else
fills.
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Luck, destiny and fate.
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Luck signifies our share / lot as a person / group, in the future.
Destiny is that inevitable happening, which we are drawn towards without our knowing / unknowing.
Fate is that which has already started to take shape and is going to result in a particular form.
And because 'this very moment' in its totality is a result of the whole accumulated 'past' we can never change its course / movement. Just because our desire / effort too is part of that result. This movement is itself 'Fate'.
We can say, the luck of different individuals is different from the rest, Destiny and Fate is the collective whole, every-one has to pass through.
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चढ़ जाती है,
हड्डियों पर,
मांस की तह,
और कभी कभी पैदा हो जाता है उसमें,
एक अदद मस्तिष्क,
या इससे भी बढ़कर
एक जीव तक!
स्त्रियाँ तोड़ देती हैं गुलदान,
पटककर दीवार पर,
और पुरुष,
बहुत ज्यादा पीने लगते हैं,
और कोई
उस पर एक नज़र तक नहीं डालता,
बस हर कोई,
बिस्तर से बाहर,
और बिस्तर के भीतर,
आता जाता रहता है ।
चढ़ जाती है,
हड्डियों पर,
मांस की तह,
और मांस की तह,
और अधिक मांस की तलाश करती है,
जिसकी कोई उम्मीद नहीं होती।
हम सभी,
एक ही नियति में फँसे हैं,
जिसे कोई कभी नहीं पहचान पाता ।
शहर कचरेदान भरता है,
शहर के कूड़ेदान भर जाते हैं।
पागलखाने भर जाते हैं।
अस्पताल भर जाते हैं।
क़ब्रिस्तान भर जाते हैं।
पर कहीं कुछ नहीं भरता !
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(मेरी समझ में,)
भाग्य / luck शब्द का अर्थ होता है, घटनाक्रम / भावी / भवितव्य / future में हमारा / व्यक्ति या समूह का अंश / share,
नियति / destiny शब्द का अर्थ होता है, वह भविष्य जिस ओर हम चाहे / अनचाहे ही खींचे जा रहे हैं ।
और प्रारब्ध / fate शब्द का अर्थ होता है, जिसका आरंभ हो चुका है ।
चूँकि ’यह क्षण’ सम्पूर्ण अतीत का ही सम्मिलित परिणाम है, इसलिए इसे ’बदल पाना’ संभव नहीं है, क्योंकि यह विचार भी अतीत का ही परिणाम मात्र है । घटनाक्रम की इस गति को ही प्रारब्ध कहते हैं ।
इसलिए हर मनुष्य का भाग्य बाकी सब से कमो-बेश कम-ज्यादा भिन्न होता है, नियति और प्रारब्ध सब का सम्मिलित रूप से एक अपरिहार्य बाध्यता है ।
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