ऊर्ध्वरेतस् / ऊर्ध्वरेतः
ūrdhvaretas / ūrdhvaretaḥ
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स्कन्दपुराण में स्कन्द भगवान के जन्म के संबंध में भगवान् शिव कहते हैं :
"पार्वती ने अपनी तपस्या के बल पर मुझे वश में कर लिया है, इसलिए अब मुझे उससे विवाह करना होगा..."
इसका तात्पर्य यह भी है कि स्कन्द के जन्म के लिए भगवान् शिव ने पार्वती से जो समागम किया वह काम के वशीभूत होकर नहीं किया बल्कि सृष्टि के कल्याण के लिए पार्वती की भक्ति से अभिभूत होकर किया । भगवान् शिव तो कामारि हैं, वह काम(देवता) तो, जो सम्पूर्ण जीवों को सृष्टि बनाए रखने के लिए बाध्य करता है, भगवान् शिव के समक्ष जीवित तक नहीं रह सकता । इसलिए भगवान् शिव को समझना हम जैसे सामान्यजन की बुद्धि में कठिन है, हाँ हम अपनी मूढता में शिव का या पुराणकथाओं का मजाक जरूर कर सकते हैं ।
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ūrdhvaretas / ūrdhvaretaḥ
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स्कन्दपुराण में स्कन्द भगवान के जन्म के संबंध में भगवान् शिव कहते हैं :
"पार्वती ने अपनी तपस्या के बल पर मुझे वश में कर लिया है, इसलिए अब मुझे उससे विवाह करना होगा..."
इसका तात्पर्य यह भी है कि स्कन्द के जन्म के लिए भगवान् शिव ने पार्वती से जो समागम किया वह काम के वशीभूत होकर नहीं किया बल्कि सृष्टि के कल्याण के लिए पार्वती की भक्ति से अभिभूत होकर किया । भगवान् शिव तो कामारि हैं, वह काम(देवता) तो, जो सम्पूर्ण जीवों को सृष्टि बनाए रखने के लिए बाध्य करता है, भगवान् शिव के समक्ष जीवित तक नहीं रह सकता । इसलिए भगवान् शिव को समझना हम जैसे सामान्यजन की बुद्धि में कठिन है, हाँ हम अपनी मूढता में शिव का या पुराणकथाओं का मजाक जरूर कर सकते हैं ।
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