Saturday, 4 July 2015

viveka cūḍāmaṇi / śloka 49

विवेक चूडामणि / श्लोक 49
viveka cūḍāmaṇi / śloka 49
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को नाम बन्धः कथमेष आगतः
कथं प्रतिष्ठास्य कथं विमोक्षः ।
कोऽसावनात्मा परमः क आत्मा
तयोर्विवेकः कथमेतदुच्यताम् ॥
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कः नाम बन्धः कथम् एषः आगतः ।
कथम् प्रतिष्ठा अस्य कथं विमोक्षः ।
कः असौ अनात्मा परमः कः आत्मा
तयोः विवेकः कथम् एतत् उच्यताम् ॥
(विवेक चूडामणि / श्लोक 49)
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अर्थ :
'बन्धन' जिसका नाम है, क्या है?  वह कैसे उत्पन्न हुआ ?  वह कैसे बना रहता है और उससे छुटकारा कैसे पाया जाता है? जिसे 'अनात्म' कहते हैं उसका क्या स्वरूप है, पुनः वह जिसे परमात्मा कहते हैं उसका क्या स्वरूप  है? जिस विवेकरूपी साधन से उन दोनों के अंतर  समझा जाता है वह विवेक क्या है? कृपया कहें।
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ko nāma bandhaḥ kathameṣa āgataḥ
kathaṃ pratiṣṭhāsya kathaṃ vimokṣaḥ |
ko:'sāvanātmā paramaḥ ka ātmā
tayorvivekaḥ kathametaducyatām ||
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kaḥ nāma bandhaḥ katham eṣaḥ āgataḥ |
katham pratiṣṭhā asya kathaṃ vimokṣaḥ |
kaḥ asau anātmā paramaḥ kaḥ ātmā
tayoḥ vivekaḥ katham etat ucyatām ||
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(viveka cūḍāmaṇi / śloka 49)
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Meaning : What is 'bondage'? How it came? What is its support - How it persists? How it is  got rid of ? Please tell! Again, what is the 'non-self' (ego), what is the Self-Supreme? How, by what means the two are distinguished? Kindly Tell.  
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