Saturday, 1 August 2015

Vedika Science -10.

Vedika Science -10.
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प्रश्न 7:
चारों युगों के मूल दिनों को कौन बता सकता है?
उत्तर:
नवमी कार्तिके शुक्ला कृतादिः परिकीर्तिता ।
वैशाखस्य तृतीया या शुक्ला त्रेतादिरुच्यते ॥
माघे पञ्चदशी कृष्णा द्वापरादिः स्मृता बुधैः ।
त्रयोदशी नभस्ये च कृष्णा सादिः कले स्मृताः ॥
एतश्चतस्रस्तिथयो युगाद्या दत्तं हुतं चाक्षयमासु विद्यात् ।
युगे युगे वर्षशतेन दानं युगादिकाले दिवसेन तत्फलम् ॥
(स्कन्दपुराण, माहेश्वरखण्ड-कुमारिकाखण्ड 3-299, 300, 301, 302)
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अर्थ :
अब युगादि तिथियाँ बतायी गयी हैं ।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सत्ययुग की आदि बतायी गयी है ।
वैशाखशुक्ल पक्ष की जो तृतीया है, वह त्रेता युग की आदि कही जाती है ।
माघ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को विद्वानों ने द्वापर की आदि तिथि माना है ।
और भाद्र कृष्ण त्रयोदशी कलियुग की प्रारम्भ-तिथि कही गयी है ।
ये चार युगादि तिथियाँ हैं, इनमें किया हुआ दान और होम अक्षय जानना चाहिये ।
प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है ।
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Vedika Science -10.
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Q.7:
Who could tell the date( tithi) of the beginning of the 4 yuga-s?
Answer :
navamī kārtike śuklā kṛtādiḥ parikīrtitā |
vaiśākhasya tṛtīyā yā śuklā tretādirucyate ||
māghe pañcadaśī kṛṣṇā dvāparādiḥ smṛtā budhaiḥ |
trayodaśī nabhasye ca kṛṣṇā sādiḥ kale smṛtāḥ ||
etaścatasrastithayo yugādyā dattaṃ hutaṃ cākṣayamāsu vidyāt |
yuge yuge varṣaśatena dānaṃ yugādikāle divasena tatphalam ||
(skandapurāṇa, māheśvarakhaṇḍa-kumārikākhaṇḍa
3-299, 300, 301, 302)
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Meaning :
Now the dates (tithi-s) of the beginning of the respective yuga-s are described.
On the 9th of the bright-moon fortnight of the month kārtika, was the first day of kṛta / satya-yuga.
On the 3rd of the bright-moon fortnight of the month vaiśākha, was the first day of tretā-yuga.
On the 15th of the waning moon fortnight of the month māgha, was the first day of dvāpara-yuga.
On the 13th of the waning moon fortnight of the month bhāra, was the first day of kali-yuga.
These four dates are described as the beginning-dates of the 4 yuga-s.
Whatever sacrifice (homa) is performed, and charity (dānaṃ) is given is ever-lasting.
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