Sunday, 16 August 2015

Monolith / मनोलिखित -1

Monolith / मनोलिखित -1 
नासदीय सूक्त / nāsadīya-sūkta 

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महर्षि वेदव्यास की पत्नी थी क्षिति । उनकी दो संतानें थीं । पुत्र का नाम था क्षितिज, पुत्री का नाम था परिधि । एक दिन पुत्री ने पिता से पूछा  :
पिताजी हम दोनों भाई-बहन में कौन बड़ा है और कौन छोटा? क्षितिज कहता है कि मैं बड़ा हूँ जबकि मैं समझती हूँ कि वह मेरा छोटा भाई है ।
सुनकर महर्षि कुछ सोचने लगे ।
'आप क्या सोच रहे हैं पिताजी ? क्या मेरा प्रश्न बहुत कठिन है?'
’नहीं कठिन या आसान है इस बारे में मैं कुछ नहीं कहती  । मैं यह सोच रहा हूँ कि जैसे परिधि और क्षितिज के बारे में यह स्पष्ट नहीं है कि कौन बड़ा है और कौन छोटा, वैसे ही तुम्हारी माता और मुझमें से कौन बड़ा है और कौन छोटा इस बारे में भी मुझे संदेह है । तुम अपनी माता से क्यों नहीं पूछती?’
परिधि दौड़कर माता के पास गई और पूछने लगी :
"मैं पिता के पास यह पूछने गई कि क्षितिज मुझसे बड़ा है या छोटा, तो वे कहने लगे कि उन्हें इस बारे में भी कुछ निश्चय नहीं है कि आप उनसे बड़ी हैं या वे आपसे बड़े हैं ?’
'सुनकर क्षिति भी सोच में पड़ गई  ।
'आप क्या सोच रही हैं माँ ? क्या मेरा प्रश्न बहुत कठिन है?'
'नहीं, कठिन या आसान है इस बारे में मैं कुछ नहीं कहती, किन्तु एक बार वेद और पुराण अपने यहाँ तुम्हारे पिता से मिलने आए थे।   उनके बीच बारे में विवाद था कि उनमें से कौन बड़ा है। वे दोनों महर्षि के पास अपने प्रश्न का उत्तर जानने आए थे।'
'फिर पिताजी ने उन्हें क्या उत्तर दिया?'
'तुम्हारे पिता ने उनसे कहा तुम दोनों की ही तरह एक बार आकाश और काल के बीच भी ऐसा विवाद हुआ था।  काल कहता था मेरा आदि या अंत किसने जाना? आकाश का भी यही तर्क था।'
'फिर पिताजी ने उन्हें क्या कहा?'
'तुम्हारे पिता उनसे कहा कि तुम दोनों यमक हो।'
'यमक का क्या अर्थ है माँ?'
'बेटी इसके दो अर्थ हैं : एक अर्थ यह कि दोनों यम की संतान हैं, दूसरा अर्थ यह कि दोनों एक ही समय पर उत्पन्न हुए।'
'उनकी माता कौन थी?'
'उनकी माता का नाम था अविद्या। '
'अविद्या का क्या अर्थ है माँ ?'
'अविद्या के दो अर्थ हैं बेटी ! एक अर्थ यह कि जो बुद्धि के जन्म से पूर्व है, दूसरा अर्थ यह कि जो बुद्धि के जन्म के बाद है। बुद्धि के जन्म से पूर्व है तमोगुण अर्थात् अंधकार, जिसमें कुछ नहीं जाना जाता, यहाँ तक कि उस अंधकार को भी नहीं जाना जाता।'
महर्षि ध्यान से माँ-बेटी का संवाद सुनते रहे और उन्हें नासदीय-सूक्त याद आने लगा।
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Monolith / मनोलिखित -1    
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kṣiti was the wife of maharṣi vedavyāsa.
The couple had a daughter named paridhi and a son named kṣitija.
Once paridhi asked her father :
"O Father! Who is elder and who the younger between me and my brother? kṣitija says he is elder while I claim; I am,...'
Having heard this, her father went into deep though.
'What do you think O Father! Is my question a difficult one to answer?'
She asked.
'O child, No, neither difficult nor easy, I wouldn't say difficult or easy,  Telling, between you two, who is younger than the other is as much like telling who between your mother and me is younger and who is the elder. I have doubts about that as well. Why don't you go and ask your mother?'
She ran to mother and put before him the same question.
''I asked Father, between me and my brother, who is the younger and who the elder. He didn't answer instead advised me to ask to you!'
Having heard her words the mother too was lost in deep thought.
'What do you think O Mother? Is my question a difficult one to answer?'
'No, neither difficult nor easy, I wouldn't say difficult or easy, but I just remember once Veda and   purāṇa had this dispute between them. Veda claimed I am the elder while purāṇa insisted the same. So they decided to see your father and hear from him, to know what is the truth.'
'So, what did my Father tell them?'
'Your Father told them that once, there was a similar dispute between ākāśa and kāla, Both claimed :
Who has seen my beginning or end? And so they had this debate, and to find the solution, had approached to your Father.'
'Then, what did my Father tell them?'
'Your Father told them they were yamaka.'
'O Mother! What is meant by yamaka?'
'O child! this word 'yamaka' has again two meanings.
One is :
'born of yama - The One mightiest Lord, Who ordains destiny of all and everything.
Another is :
The two, born at the same moment.'
'And Mother! Who was the mother of the two?'
'her name is 'avidyā', O Child,...'
'What is meant by 'avidyā', O Mother?'
'This 'avidyā', has again two different meanings, O Child!
One is :
The thing that is there before the intellect appears.
Another is :
The thing that manifests as intellect.
The state that is there before the appearance of intellect is utter dark tamoguṇa, that lacks even the awareness of the darkness.'
maharṣi was deeply absorbed in listening with keen attention to the dialogues that took place between the mother and the daughter.
And the nāsadīya-sūkta flashed forth in His being.
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Glossary :
ākāśa > Space (in terms) of material wisdom, consciousness, thought, feeling...
Or as physical as sky.
'avidyā' > māyā, primal ignorance before / after the intellect has sprung-up
> of these two forms.
kāla > Time,
kṣiti > Earth, Existence,
kṣitija > the horizon,
maharṣi vedavyāsa. > The sage who wrote all the Veda and purāṇa /scriptures
paridhi > circumference, limits, ultimate boundary,
tamoguṇa, > the attribute of inertia, indolence, lack of wisdom.
vyāsa > Compass, diameter, One that spans whole knowledge in all forms,   
yama > The One mightiest Lord, Who ordains destiny of all and everything.
yamaka > the twins.
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