तरण-पुष्करः / taraṇa-puṣkaraḥ
(The Swimming-pool)
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©
तरण-पुष्करे अस्मिन् पुष्पिताः खेलन्ति पुष्पाः ।
तरुणाऽपि तरन्ति अत्र तस्मात् तरुण-पुष्करो ।
अवतीर्णे अस्मिन् तरितुम् शक्नोति कश्चिदेव ।
तीर्त्वा हि उत्तीर्णो पारङ्गतो भवेत्ततो ॥
तरणं गम्यते तरुणैः स्वेन सख्युर्वाचार्यैः ।
शास्त्राभ्यासेन केवलेन तरणं नावगम्यते ।
तरणं गम्यते तरुणैः स्वेन सख्युर्वाचार्यैः ।
शास्त्राभ्यासेन केवलेन तरितुं नैवाधीयते ॥
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अर्थ :
इस तरण-पुष्कर में विकसित खिले कमल / कुमुद खेलते हैं।
इसमें तरुण बाल-युवा तैरते भी हैं इसलिए इसे 'तरुण-पुष्कर' भी कह सकते हैं।
इसमें उतरने के बाद कोई-कोई तैर पाता है (जिसे तैरना आता हो),
और जो तैरकर पार जा सकता है उसे 'उत्तीर्ण' कहा जाता है।
उत्तीर्ण होने तात्पर्य है; - पार गया हुआ।
नए सीखने वालों को जानना चाहिए कि तैरना या तो स्वयं ही सीखा जाता है, या मित्रों से अथवा किसी शिक्षक से सीखा जाता है, केवल क़िताब पढ़कर कोई तैरना कभी नहीं सीख सकता।
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तरण-पुष्करः / taraṇa-puṣkaraḥ
(The Swimming-pool)
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(The Swimming-pool)
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तरण-पुष्करे अस्मिन् पुष्पिताः खेलन्ति पुष्पाः ।
तरुणाऽपि तरन्ति अत्र तस्मात् तरुण-पुष्करो ।
अवतीर्णे अस्मिन् तरितुम् शक्नोति कश्चिदेव ।
तीर्त्वा हि उत्तीर्णो पारङ्गतो भवेत्ततो ॥
तरणं गम्यते तरुणैः स्वेन सख्युर्वाचार्यैः ।
शास्त्राभ्यासेन केवलेन तरणं नावगम्यते ।
तरणं गम्यते तरुणैः स्वेन सख्युर्वाचार्यैः ।
शास्त्राभ्यासेन केवलेन तरितुं नैवाधीयते ॥
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अर्थ :
इस तरण-पुष्कर में विकसित खिले कमल / कुमुद खेलते हैं।
इसमें तरुण बाल-युवा तैरते भी हैं इसलिए इसे 'तरुण-पुष्कर' भी कह सकते हैं।
इसमें उतरने के बाद कोई-कोई तैर पाता है (जिसे तैरना आता हो),
और जो तैरकर पार जा सकता है उसे 'उत्तीर्ण' कहा जाता है।
उत्तीर्ण होने तात्पर्य है; - पार गया हुआ।
नए सीखने वालों को जानना चाहिए कि तैरना या तो स्वयं ही सीखा जाता है, या मित्रों से अथवा किसी शिक्षक से सीखा जाता है, केवल क़िताब पढ़कर कोई तैरना कभी नहीं सीख सकता।
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तरण-पुष्करः / taraṇa-puṣkaraḥ
(The Swimming-pool)
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taraṇa-puṣkare asmin puṣpitāḥ khelanti puṣpāḥ |
taruṇā:'pi taranti atra tasmāt taruṇa-puṣkaro |
avatīrṇe asmin tartum śaknoti kaścideva |
tīrtvā hi uttīrṇo pāraṅgato bhavettato ||
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taraṇaṃ gamyate taruṇaiḥ svena sakhyurvācāryaiḥ |
śāstrābhyāsena kevalena taraṇaṃ nāvagamyate |
taraṇaṃ gamyate taruṇaiḥ svena sakhyurvācāryaiḥ |
śāstrābhyāsena kevalena tarituṃ naivādhīyate ||
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taraṇaṃ gamyate taruṇaiḥ svena sakhyurvācāryaiḥ |
śāstrābhyāsena kevalena taraṇaṃ nāvagamyate |
taraṇaṃ gamyate taruṇaiḥ svena sakhyurvācāryaiḥ |
śāstrābhyāsena kevalena tarituṃ naivādhīyate ||
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Meaning :
In this swimming-pool (taraṇa-puṣkara) there are many flowering (khelanti puṣpāḥ) lotus and lily.
In this swimming-pool, a few young (taruṇā:) swim and others learn to swim.
Once getting into it (avatīrṇe asmin), some can swim, while others learn.
Those learned can swim to the other side as well.
Such pass-outs ( uttīrṇā) are called expert (pāraṅgatā) .
Those who aspire to learn to swim should know well that swimming is learnt by one-self, or with the help from the friends or under the instructions from a qualified teacher only. Book-learning only is of no help whatsoever in learning how to swim.
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This beautiful Sanskrit verse made me to go and look at my pool again and again.
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