इब्राहीम और इस्माइल
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(ब्रह्म और अस्मि)
इस कथा को बरसों पहले पढ़ा था।
आज परम आदरणीय श्री पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी के इस विडिओ को देखा तो याद आया।
वेदान्त के सन्दर्भ में इसका आकलन करें तो यह वही कथा है जो नचिकेता और उशन् या वाजश्रवा की है।
दूसरी ओर ब्रह्म से इब्राहीम का तथा इस्माइल से अस्मि (या अस्मि इल) का सादृश्य भी उल्लेखनीय है।
वेदान्त के अनुसार ब्रह्माकार-वृत्ति का व्यक्ति-विशेष में प्रकाश ही 'अस्मि-वृत्ति' है।
यही मनुष्य मात्र की सर्वाधिक प्रिय वस्तु है।
इस 'अस्मि-वृत्ति' का बलिदान ही सर्वोच्च त्याग / बलिदान (sacrifice) है।
मेरे लिए तो इस कथा का यही अर्थ है।
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हिब्रू बाइबिल में इब्राहिम और इस्माइल को क्रमशः अब्राहम तथा इसहाक कहा गया है और बाद के ग्रंथों में इसी कथा को उद्धृत किया गया है।
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(ब्रह्म और अस्मि)
इस कथा को बरसों पहले पढ़ा था।
आज परम आदरणीय श्री पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी के इस विडिओ को देखा तो याद आया।
वेदान्त के सन्दर्भ में इसका आकलन करें तो यह वही कथा है जो नचिकेता और उशन् या वाजश्रवा की है।
दूसरी ओर ब्रह्म से इब्राहीम का तथा इस्माइल से अस्मि (या अस्मि इल) का सादृश्य भी उल्लेखनीय है।
वेदान्त के अनुसार ब्रह्माकार-वृत्ति का व्यक्ति-विशेष में प्रकाश ही 'अस्मि-वृत्ति' है।
यही मनुष्य मात्र की सर्वाधिक प्रिय वस्तु है।
इस 'अस्मि-वृत्ति' का बलिदान ही सर्वोच्च त्याग / बलिदान (sacrifice) है।
मेरे लिए तो इस कथा का यही अर्थ है।
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हिब्रू बाइबिल में इब्राहिम और इस्माइल को क्रमशः अब्राहम तथा इसहाक कहा गया है और बाद के ग्रंथों में इसी कथा को उद्धृत किया गया है।
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