Saturday, 4 November 2017

आयुर्विज्ञान / विष : Venom and Poison

आयुर्विज्ञान के चार स्तंभ
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निदाने माधवः प्रोक्तः सूत्रस्थाने तु वाग्भटः ।
शारीरे सुश्रुतः प्रोक्तश्चरकस्तु चिकित्सिते ॥
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निदानग्रन्थों में ’माधवनिदान’,
सूत्रस्थान में वाग्भट,
शारीरस्थान में सुश्रुत, एवं
चिकित्सानाम ओषधविचार में चरक सर्वोत्तम कहे जाते हैं ।
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माधवनिदान के अनुसार :
स्थावरं जंगमं चैव द्विविधं विषमुच्यते ।
मूलात्मकं तदाद्यं स्यात्परं सर्पादिसम्भवम् ॥१
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विष दो प्रकार का है । स्थावर और जंगम, तथा मूलात्मक स्थावर और सर्पादिकों से जो प्रगट हो वह जंगम विष होता है ॥
दशाधिष्ठानमाद्यं तु द्वितीयं षोडशाश्रयम् ।
आद्य अर्थात् स्थावर विष दश जगह रहता है और जंगम विष सोलह जगह रहता है ।
मूलं पत्रं फलं पुष्पं त्वक्क्षीरं सार एव च ।
निर्यासा धातवश्चैव कन्दश्च दशमः स्मृतः ॥२
जड, पात, फल, फूल, छाल, दूध, रस, गोंद, धातु और कन्द ये दश स्थावर विष हैं ।
क्लीतक, अश्वमार .... विजया ये आठ मूलविष हैं ।
जंगमस्य विषस्योक्तान्यधिष्ठानानि षोडश ।
समासेन मया यानि विस्तरेषु वक्ष्यते ॥३
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Venom and poison :
Thus venom that issues out through vein is जंगम विष,
while the poison (poised, positioned) is स्थावर विष .
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