Thursday, 30 November 2017

अंधेरा और उजाला / Darkness and Light

>
गौर से देखिए अंधेरा भी रौशनी है,
जिसमें दिखाई देता है वज़ूद अपना,
गौर से देखिए रौशनी भी अंधेरा है,
एक अंधेरे से दूसरे तक का सफ़र ।
--
पहली दो पंक्तियाँ महत्वपूर्ण हैं, जिसमें यह विचार प्रस्तुत किया गया है कि घुप अंधेरे में भी मनुष्य अपने-आपके अस्तित्व के प्रति सुनिश्चित होता है, 'अपने चारों ओर का जगत्' भले ही अंधेरे में हो और उसके बारे में वह कुछ जान-समझ न भी पाए, अपने अस्तित्व के बारे में उसे कोई संशय कदापि नहीं होता, और यदि कहें कि तब भी अपना परिचय ’मैं’ क्या / कौन हूँ नहीं समझ में आता, तो भी ऐसा संशय करनेवाली चेतन-सत्ता के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता । इसे समझने के लिए न तो शास्त्र चाहिए, न किसी प्रकार का कोई बाहरी गुरु या शिक्षा आदि । इसे ही ’वज़ूद’ / (अस्ति) कहा गया ।
बाहरी अंधेरा और उजाला भी उस चेतन-सत्ता को छिपाने में असमर्थ होता है ।
यह चेतन-सत्ता निरपेक्ष, चेतन-प्रकाश है, जबकि तीसरी-चौथी पंक्तियों में कहा गया प्रकाश जगत्-सापेक्ष, भौतिक प्रकाश है ।  उस सापेक्ष प्रकाश का अपना सीमित महत्व और उपयोगिता ’अंधेरे से अंधेरे तक का सफ़र’ है, इस दृष्टि से वह केवल अंधकार ही है क्योंकि वह मनुष्य को अंततः कहीं नहीं ले जाता ।
--
See with keen attention,
Darkness too is a Light,
Where one instinctively,
Asserts one's own being.
See with keen attention,
Light is too but Darkness,
A journey towards Darkness,
From a Darkness only.
--
The first two lines are rather more important. Even in pitch-black Darkness, one is not uncertain of one's own being, though may not exactly understand 'Who' / 'What' I am. Even though the World is surrounded by the Dark, one may be uncertain about the world no-one doubts one's own existence, as a concrete fact. If the existence of such a fact / Reality is doubted, that is again irrefutable evidence of that 'conscious-being'. To grasp this simple fact no external Guru, Teacher or scripture is needed.
In the third and the last lines, the Physical Light has been likened to spiritual Darkness which takes one from Darkness to Darkness, or just no-where at all.
The Light of 'Awareness' that is spontaneous and steady lets us know our Real Being, while the external light helps in dealing with the day-to-day external life where one is an individual only.
--
   

       

No comments:

Post a Comment