Sunday, 5 November 2017

पहचान की पहचान

पहचान की पहचान
(कविता)
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पहचान का पता होना,
पता होने की पहचान,
सब कितना भ्रामक है,
सब कितना अस्थिर है,
जिसको पता होता है,
जिसका पता होता है,
एक ही तो है वो हयात,
दो नहीं है वो पता होना!
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