पहचान की पहचान
(कविता)
पता होने की पहचान,
सब कितना भ्रामक है,
सब कितना अस्थिर है,
जिसको पता होता है,
जिसका पता होता है,
एक ही तो है वो हयात,
दो नहीं है वो पता होना!
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(कविता)
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पहचान का पता होना,पता होने की पहचान,
सब कितना भ्रामक है,
सब कितना अस्थिर है,
जिसको पता होता है,
जिसका पता होता है,
एक ही तो है वो हयात,
दो नहीं है वो पता होना!
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