Friday, 17 November 2017

प्रपञ्च-सार / prapañca-sāra

आज की  संस्कृत रचना
saṃskṛta composition
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प्रपञ्च-सार / prapañca-sāra 
पञ्चेन्द्रियाणि पञ्चविषयाः पञ्चभूतात्मकं जगत् ।
पञ्चप्राणाः अन्तःकरणञ्च इदमीशात्मकप्रपञ्चः ॥
(अन्तःकरणचतुष्टय तथा ईश्वर)
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pañcendriyāṇi pañcaviṣayāḥ pañcabhūtātmakaṃ jagat |
pañcaprāṇāḥ antaḥkaraṇañca idamīśātmakaprapañcaḥ ||
(antaḥkaraṇacatuṣṭaya tathā īśvara)
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अर्थ :
पाँच इन्द्रियाँ (ज्ञानेन्द्रिय तथा कर्मेन्द्रिय भी) हैं,
उनके पाँच ही विषय भी हैं,
पाँच ही तत्वों से जगत् सृष्ट है,
पाँच प्राण हैं, अन्तःकरण (चार),
तथा सबका एक ही ईश्वर,
ये भी पाँच हैं, यही प्रपञ्च भी है । 
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Meaning : 
Five are the senses, 
Five are the the sense-objects, 
Five-elements are the world.
Five are the vital-breaths,
Four the psyche and The One,
The Lord of all, is The Manifest.
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