Saturday, 2 September 2017

ज्ञेय-अज्ञेय

ज्ञेय-अज्ञेय
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कालरूपी एक अदृश्य सी दीवार,
स्थान का असीमित दृश्य विस्तार,
व्यक्ति के आयाम में फैलते आयाम,
देह में मन-विश्व, विश्व में मन-देह,
देह-विश्व-मन, काल-स्थान-सीमित,
कौन सा आयाम है स्वतंत्र किससे?
ये सभी आयाम केन्द्र, उभरते आयाम,
कौन सा आयाम जानेगा किसे ?
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