Saturday, 23 September 2017

Being a Hindu in Bharata

This article appeared in The Hindu in the 1940's..... when late Mr Kasturi (N Ram's father) was the editor.....can such an article be published now !!!!!!do zoom and read

Wish Politicians stop dividing people 
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Being a Hindu in Bharata
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Sir, -- I am a Hindu and have been a Hindu since my birth. As I call myself a Hindu, the Indian Government will look on me as a communalist. A Hindu in India is expected to be ashamed of his religion and not talk bout it in public. He must proclaim that he is secular. He must be tolerant when Hindus are attacked and Hinduism is ridiculed. Hindus believe that all religions lead to the same truth. Some other religions proclaim their uniqueness and feel that there can be salvation only through their religion. They want us to embrace their religion out of concern for the pagan Hindus. Hindus accept the right to convert others. Some ridicule Hindu gods and goddesses at street-corner meetings and Hindus do not protest. Hindus accept other’s right to propagate their faith by fair or foul means.
Governments manage Hindu temples. They do not interfere in the administration of the religious places of other religions as they belong to minority religious groups. Governments enact laws governing the life of Hindus but minority groups are given freedom to do what they want to.
Sri Rama’s birthday and Sri Krishna’s birthday are not national holiday. The Hindus do not mind as they are a tolerant people. They recite “Ishwar Allah tere nam” and no one else does.
Ambedkar ridiculed and abused Hindus and Hinduism. As tolerant Hindus we love him, adore him. Alladi Krishnaswami Iyer, B.N.Rao, and others also contributed a great deal towards the drafting of the Indian Constitution. We have forgotten them as they were foolish enough not to criticize Hindus and Hinduism.
Hindus adore Max Mueller for his translation of Hindu religious works into English. Some call him a Rishi. We forgive him for his views on Hindus and Hinduism. He translated Hindu religious works to prove that Christianity is superior to Hinduism. In 1886, Max Mueller wrote to his wife:    
I hope I shall finish the work, and I feel convinced though I shall not live to see it, yet this edition of mine and the translation of the Veda will hereafter tell to a great extent on the fate of India and on the growth of millions of souls in that country. It is the root of their religion and to show them what the root is, I feel sure is the only way of uprooting all that has sprung from it during the last three thousand years.
He wrote to the Secretary of State for India that
The ancient religion of India is doomed and if Christianity does not step in, whose fault will it be?
As true Hindus we forget his motives and value him for his work,
I am distressed at the way Hindus are treated by every government. Our governments are more interested in the minorities than in the majority community. Hindus are taken for granted. Their tolerance is mistaken for weakness.
In the name of secularism, governments trample on the feelings of Hindus. The present tensions in the country are due to the one-sided policy of the governments. Governments are united in dividing people on the basis of their religion. The British divided and ruled. The British have left us, their legacy remains.
K.Subramanian, Secundarabad.
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The Hindi Translation of the above :
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प्रस्तुत लेख वर्ष 1940 में, The Hindu में प्रकाशित हुआ था,
जब स्वर्गीय श्री कस्तूरी (श्री एन. राम / N. Ram के पिता), The Hindu के संपादक थे।
भारत में हिन्दू होने का तात्पर्य
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महोदय,
मैं एक हिन्दू हूँ और वह भी जन्म से ही -न कि किसी दूसरे समुदाय से धर्मान्तरित । चूँकि मैं अपने-आपको हिन्दू कहता हूँ इसलिए सरकार मुझे संप्रदायवादी की दृष्टि से देखेगी । भारत में हिन्दू होने के नाते आपसे अपेक्षा की जाती है कि आपको अपने धर्म (हिन्दू होने) के लिए शर्मिन्दा होना चाहिए, और इस बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं करना चाहिए । आपको यह घोषित करना चाहिए कि आप ’धर्मनिरपेक्ष' अर्थात् secular हैं । जब भी हिन्दुओं पर हमला किया जाता है और हिन्दुत्व का उपहास किया जाता है तब आपको सहिष्णुता प्रदर्शित करना चाहिए । हिन्दू विश्वास करते हैं कि सभी धर्म एक ही सत्य तक ले जाते हैं । (जबकि) कुछ अन्य धर्म उनके अपने धर्म को इस बारे में एकमात्र और अद्वितीय घोषित करते हैं और समझते हैं कि केवल उनके ही धर्म को अपनाने, उसे सत्य मानने तथा उस पर चलने से ही मनुष्य की मुक्ति हो सकती है, अन्यथा नहीं । इसलिए वे हमारे प्रति सहानुभूति रखते हुए चाहते हैं कि हम pagan / पगन् हिन्दू उनके धर्म को अङ्गीकार करें । दूसरे के धर्मान्तरण किए जाने के अधिकार को हिन्दू मान्य करते हैं । कुछ लोग नुक्कड़-चौराहों पर एकत्रित होकर हिन्दू देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाते हैं और हिन्दू इसका विरोध नहीं करते ।
हिन्दू, भले-बुरे किसी भी तरीके से अपने धर्म का प्रचार करने के उनके अधिकार का विरोध नहीं करते ।
सरकार हिन्दू धर्मस्थलों की देख-रेख करती है । सरकार दूसरे धार्मिक समुदायों के धर्मस्थलों की व्यवस्था में दखल नहीं देती क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं । सरकार हिन्दुओं के जीवन को नियंत्रित करनेवाले क़ानूनों  बनाती और लागू करती है, लेकिन अल्पसंख्यक वर्गों को यह स्वतंत्रता है कि वे जो चाहें करें ।
श्रीराम का जन्मदिन और श्रीकृष्ण का जन्मदिन राष्ट्रीय अवकाश नहीं होता । हिन्दू इससे उद्विग्न नहीं होते क्योंकि वे सहिष्णु हैं । केवल वे ही "ईश्वर अल्ला तेरे नाम" गाते हैं, जिसे उनके सिवा दूसरा कोई नहीं गाता ।
अम्बेडकर ने हिन्दुत्व का उपहास किया और उसे गालियाँ दीं । (लेकिन) सहिष्णु हिन्दू होने के नाते हम उनका सम्मान और आदर करते हैं । (अम्बेडकर के अलावा) अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर, बी.एन. राव, और दूसरे कुछ लोगों ने भी संविधान-निर्माण में अपना इतना ही या इससे भी कुछ अधिक और अमूल्य योगदान दिया । उन सबको हमने इसलिए भुला दिया क्योंकि मूर्खतावश उन्होंने हिन्दुओं और हिन्दुत्व की पर्याप्त निन्दा-भर्त्सना नहीं की ।
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अंग्रेज़ी में अनुवाद करने के लिए हिन्दू मॅक्स-मूलर का आदर कारते हैं । कुछ लोग तो उसे ऋषि कहते हैं । हिन्दुओं और हिन्दुत्व के प्रति उसके दृष्टिकोण के लिए हम उसे क्षमा कर देते हैं । उसने हिन्दू धर्मग्रंथों को अंग्रेज़ी में इसलिए अनुवादित किया ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि क्रिश्चियनिटी हिन्दुत्व से श्रेष्ठ है । 1986 में उसने अपनी पत्नी को पत्र लिखा था :
" इस बारे में मुझे कोई संशय नहीं है और मुझे आशा है कि मेरा कार्य पूरा हो जाएगा, और यद्यपि उसे देख पाने के लिए, तब तक शायद ही मैं जीवित रहूँगा, लेकिन मेरे वेद के इस संस्करण / अनुवाद का कार्य भारत और इस राष्ट्र में रहनेवाले करोड़ों मनुष्यों के, आज के बाद के आनेवाले भविष्य को बहुत गहराई तक प्रभावित करेगा । यह (वेद), उनके धर्म का आधारभूत मूल तत्व है, और मेरा यह कार्य अर्थात् उन्हें यह दिखलाना कि उनके धर्म का आधारभूत मूल तत्व क्या है, उनके उस धर्म के आधारभूत मूल तत्व को, जो पिछले तीन हज़ार वर्षों से पनपा-बढ़ा है, जड से उखाड़ने, उस पर कुठाराघात करने का एकमात्र उपाय है ।"
और, भारत के लिए सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट (Secretary of Sṭaṭe for India) को उसने पत्र लिखा :
"भारत का प्राचीन धर्म मरणासन्न स्थिति में है और अगर इस समय क्रिश्चियनिटी आगे आकर इस मौके का फ़ायदा नहीं उठाता तो यह किसका दोष होगा?"
सच्चे हिन्दू होने के कारण हमने उसके ध्येयों को क्षमा कर दिया और उसके कार्य के लिए उसका सम्मान करते हैं ।
प्रत्येक सरकार हिन्दुओं से जैसा व्यवहार करती चली आ रही है, उससे मैं बहुत निराश (और उद्विग्न) हूँ । हमारी सरकारों की रुचि (और चिन्ता) बहुसंख्यकों के बजाय अल्पसंख्यकों के लिए अधिक है । हिन्दुओं की उपेक्षा कर दी जाती है । उनकी सहिष्णुता को उनकी कमज़ोरी समझ लिया गया है ।
’धर्म-निरपेक्षता’ (secularism) के नाम पर सरकारें हिन्दुओं की भावनाओं को कुचलती रही हैं । देश में मौजूदा वर्तमान तनाव सरकारों की इसी पक्षपातपूर्ण नीति के कारण है । लोगों के धर्म के आधार पर उनमें भेदभाव पैदा करने के लिए सरकारें पूरी तरह से एकमत हैं । अंग्रेज़ यहाँ से चले गए, उनकी विरासत बाक़ी है ।
के.सुब्रमणियन, सिकन्दराबाद  
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