International Yoga-Day.
राष्ट्रवाद
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21 जून को सायण-गणना से सूर्य का प्रवेश मिथुन राशि में होता है।
यह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि मिथुन युगल का पर्याय है और सूर्य आत्मा का।
सूर्यः आत्मा जगतस्थश्च।
इसलिए 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाना सर्वथा प्रासंगिक और समीचीन है।
निरयण-गणना से 15 जून को ही सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश हो जाता है।
अयन का अर्थ है मार्ग।
सूर्य का उत्तरायण (सौम्यायन) मकर संक्रान्ति के समय होता है जब सूर्य धनु राशि से मकर में प्रवेश करता है।
यह तिथि जनवरी माह की 13 तारीख को होती है जब सायण-सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होता है।
निरयण-गणना से यह तिथि 21 जनवरी को होना चाहिए।
सूर्य इससे ठीक छः माह बाद दक्षिणायन (याम्यायन) होता है। दक्षिण यम की दिशा है।
अयनान्त (Solstice) और संक्रान्ति (Equinox) ये चार खगोलीय बिंदु (प्रसंग) वे हैं जिनमें से 2 वे हैं जहाँ पर चन्द्रमा की पृथ्वी के चारों ओर घूमने की कक्षा, सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण करती हुई पृथ्वी की कक्षा को काटती है। दूसरे दो बिंदु वे हैं जो पृथ्वी की कक्षा पर वहाँ स्थित हैं, जिनमें से एक पृथ्वी से सूर्य की निकटतम दूरी पर और दूसरा पृथ्वी से सूर्य की अधिकतम दूरी पर होता है। चूँकि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिभ्रमण की कक्षा अंडाकार है इसलिए सूर्य इस अंडाकार कक्षा रूपी दीर्घवृत्त (ellipse) के नाभि (focus) पर स्थित है।
इस प्रकार क्रमशः वसन्त विषुव तथा शरद विषुव ही उपरोक्त दो बिंदु हैं। इन्हें ही equinox कहा जाता है।
equinox अश्विनौ तथा ऊक्षिणौ के समास से बना शब्द है।
संस्कृत में दो अश्वों को अश्विनौ तथा दो बैलों को ऊक्षिणौ कहा जाता है। अंग्रेज़ी का horse अश्वः का ही सज्ञात cognate है, जबकि ox ऊक्षन् (बैल) का। इन्हें आप भारत के चार सिन्होंवाले राष्ट्रीय चिन्ह में अशोक-स्तम्भ पर एक चक्र के दोनों ओर देख सकते हैं।
शरद विषुव और वसन्त विषुव ऋतु-परिवर्तन के समय के सूचक हैं। शरद विषुव वर्षाऋतु के अंत में व शीतऋतु के आगमन से पूर्व का समय है जबकि वसन्त विषुव शीतऋतु के अंत, और ग्रीष्म के प्रारम्भ का समय है। भारतीय संस्कृति में इसी समय शारदीय तथा वासंती नामक दो नवरात्र पर्व मनाये जाते हैं। यह नई फसल की बुआई तथा तैयार फसल की कटाई का समय भी होता है। भारतवर्ष चूँकि गर्म स्थान है इसलिए भीषण गर्मी में प्रायः धरती को परती छोड़ दिया जाता है ताकि धरती की मिट्टी धूल बनकर पूरी तरह कीटाणु तथा विषाणुरहित हो जाए। ऐसी मिट्टी पर बारिश (संस्कृत -वारिशः) पड़ने पर जो प्राण पृथ्वी को प्राप्त होते हैं वे ही शरद पूर्णिमा के चंद्र से ओज तथा सोम को ग्रहण कर उत्तम अन्न और ओषधि पैदा करते हैं।
इसी प्रकार वसंत पूर्णिमा को दूसरी फसल की कटाई के समय फाल्गुन मास के समय होली मनाई जाती है, जिसके तुरंत बाद नववर्ष की चैत्र नवरात्र होती है।
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जिन राष्ट्रनेताओं ने इस राष्ट्रीय चिन्ह और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना की उन्होंने अवश्य ही बहुत सूझबूझ तथा ध्यान से यह तय किया होगा। यह सनातन-धर्म तथा संस्कृति के साथ सर्वथा सामञ्जस्यपूर्ण भी है।
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राष्ट्रवाद
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21 जून को सायण-गणना से सूर्य का प्रवेश मिथुन राशि में होता है।
यह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि मिथुन युगल का पर्याय है और सूर्य आत्मा का।
सूर्यः आत्मा जगतस्थश्च।
इसलिए 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाना सर्वथा प्रासंगिक और समीचीन है।
निरयण-गणना से 15 जून को ही सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश हो जाता है।
अयन का अर्थ है मार्ग।
सूर्य का उत्तरायण (सौम्यायन) मकर संक्रान्ति के समय होता है जब सूर्य धनु राशि से मकर में प्रवेश करता है।
यह तिथि जनवरी माह की 13 तारीख को होती है जब सायण-सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होता है।
निरयण-गणना से यह तिथि 21 जनवरी को होना चाहिए।
सूर्य इससे ठीक छः माह बाद दक्षिणायन (याम्यायन) होता है। दक्षिण यम की दिशा है।
अयनान्त (Solstice) और संक्रान्ति (Equinox) ये चार खगोलीय बिंदु (प्रसंग) वे हैं जिनमें से 2 वे हैं जहाँ पर चन्द्रमा की पृथ्वी के चारों ओर घूमने की कक्षा, सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण करती हुई पृथ्वी की कक्षा को काटती है। दूसरे दो बिंदु वे हैं जो पृथ्वी की कक्षा पर वहाँ स्थित हैं, जिनमें से एक पृथ्वी से सूर्य की निकटतम दूरी पर और दूसरा पृथ्वी से सूर्य की अधिकतम दूरी पर होता है। चूँकि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिभ्रमण की कक्षा अंडाकार है इसलिए सूर्य इस अंडाकार कक्षा रूपी दीर्घवृत्त (ellipse) के नाभि (focus) पर स्थित है।
इस प्रकार क्रमशः वसन्त विषुव तथा शरद विषुव ही उपरोक्त दो बिंदु हैं। इन्हें ही equinox कहा जाता है।
equinox अश्विनौ तथा ऊक्षिणौ के समास से बना शब्द है।
संस्कृत में दो अश्वों को अश्विनौ तथा दो बैलों को ऊक्षिणौ कहा जाता है। अंग्रेज़ी का horse अश्वः का ही सज्ञात cognate है, जबकि ox ऊक्षन् (बैल) का। इन्हें आप भारत के चार सिन्होंवाले राष्ट्रीय चिन्ह में अशोक-स्तम्भ पर एक चक्र के दोनों ओर देख सकते हैं।
शरद विषुव और वसन्त विषुव ऋतु-परिवर्तन के समय के सूचक हैं। शरद विषुव वर्षाऋतु के अंत में व शीतऋतु के आगमन से पूर्व का समय है जबकि वसन्त विषुव शीतऋतु के अंत, और ग्रीष्म के प्रारम्भ का समय है। भारतीय संस्कृति में इसी समय शारदीय तथा वासंती नामक दो नवरात्र पर्व मनाये जाते हैं। यह नई फसल की बुआई तथा तैयार फसल की कटाई का समय भी होता है। भारतवर्ष चूँकि गर्म स्थान है इसलिए भीषण गर्मी में प्रायः धरती को परती छोड़ दिया जाता है ताकि धरती की मिट्टी धूल बनकर पूरी तरह कीटाणु तथा विषाणुरहित हो जाए। ऐसी मिट्टी पर बारिश (संस्कृत -वारिशः) पड़ने पर जो प्राण पृथ्वी को प्राप्त होते हैं वे ही शरद पूर्णिमा के चंद्र से ओज तथा सोम को ग्रहण कर उत्तम अन्न और ओषधि पैदा करते हैं।
इसी प्रकार वसंत पूर्णिमा को दूसरी फसल की कटाई के समय फाल्गुन मास के समय होली मनाई जाती है, जिसके तुरंत बाद नववर्ष की चैत्र नवरात्र होती है।
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जिन राष्ट्रनेताओं ने इस राष्ट्रीय चिन्ह और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना की उन्होंने अवश्य ही बहुत सूझबूझ तथा ध्यान से यह तय किया होगा। यह सनातन-धर्म तथा संस्कृति के साथ सर्वथा सामञ्जस्यपूर्ण भी है।
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