Monday, 28 November 2016

विवेकचूडामणि / vivekacūḍāmaṇi 20

विवेकचूडामणि / vivekacūḍāmaṇi 20
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ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्येत्येवंरूपो विनिश्चयः ।
सोऽयं नित्यानित्यवस्तुविवेकः समुदाहृतः ॥
(विवेकचूडामणि 20)
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अर्थ :
ब्रह्म सत्य है (सत्य ही ब्रह्म / सत्ता है), जगत् मिथ्या (भासमान-मात्र) है इस प्रकार का सम्यक् निश्चय होना, इसे ही नित्य वस्तु और अनित्य वस्तु के बीच के भेद का विवेचन / विवेक होना कहा गया है ।
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विवेकचूडामणि / vivekacūḍāmaṇi 20  
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brahma satyaṃ jaganmithyetyevaṃrūpo viniścayaḥ |
so:'yaṃ nityānityavastuvivekaḥ samudāhṛtaḥ ||
(vivekacūḍāmaṇi 20)
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Meaning :
What is Real / lasting for ever is the only Truth , what is fleeting is unreal, - such a firm understanding and conviction is designated (by the wise) as discrimination.
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