Friday, 11 November 2016

आत्मानम् विद्धि !

कविता / आत्मानम् विद्धि !
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आत्मा के कोटिशः जगत्
अभिव्यक्त मन (आत्मा) में,
आत्मा के असंख्य वर्तुल,
आत्मा के अनंत विस्तार,
आत्मा के असंख्य वृत्तान्त,
आत्मलीन मन (आत्मा) में !
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