तूफ़ाँ से गर्दिशों से बच निकल तो आया साबुत,
निकल तो आया साबुत, मगर पहचान खो गई ।
--
परंपरा और परिपाटी बनकर धर्म जब अपनी सरलता और स्वाभाविकता को त्याग देता है, जब परंपरा के रूप में वह दुराग्रह, प्रचार, हठ तथा दंभ बनकर सत्ता की भूख और येन-केन-प्रकारेण शक्ति प्राप्त करने की लालसा हो जाता है, तो भले ही उसके सिद्धान्त, मत, विश्वास या आदर्श कितने ही महान और श्रेष्ठ क्यों न हो, वस्तुतः धर्म के वेश में अधर्म और कपट, छल और पाखंड ही होता है, और तब उसकी दुष्टता छिपाए नहीं छिपती ।
--
निकल तो आया साबुत, मगर पहचान खो गई ।
--
परंपरा और परिपाटी बनकर धर्म जब अपनी सरलता और स्वाभाविकता को त्याग देता है, जब परंपरा के रूप में वह दुराग्रह, प्रचार, हठ तथा दंभ बनकर सत्ता की भूख और येन-केन-प्रकारेण शक्ति प्राप्त करने की लालसा हो जाता है, तो भले ही उसके सिद्धान्त, मत, विश्वास या आदर्श कितने ही महान और श्रेष्ठ क्यों न हो, वस्तुतः धर्म के वेश में अधर्म और कपट, छल और पाखंड ही होता है, और तब उसकी दुष्टता छिपाए नहीं छिपती ।
--
No comments:
Post a Comment