Why we don't discover the man in the tree?
UpaniShat says :
तैत्तिरीय-उपनिषत्
अनुवाक् दशमः
वल्ली 1,
अहं वृक्षस्य रेरिवा । कीर्तिः पृष्ठं गिरेरिव ।...
(रेः इव आ )
--
अर्थ : मैं (परब्रह्म) वृक्ष का फैलाव हूँ । पर्वत-शिखर जैसी मेरी कीर्ति है ।
टिप्पणी :
जैसे वृक्ष निरन्तर वर्धमान होता है, जैसे पर्वत-शिखर दूर दूर तक दिखलाई देता है, वैसे ही मनुष्य की वास्तविक आत्मा स्थान और काल में तथा उनसे भी पर निरन्तर गतिशील है, क्योंकि स्थान और काल आत्मा (मैं) से बाहर नहीं हैं । स्थान और काल स्वयं अपना प्रमाण नहीं, उन्हें जाननेवाला आत्मा / मैं ही उनका प्रमाण हूँ ।
--
taittirīya-upaniṣat
anuvāk daśamaḥ
vallī 1,
ahaṃ vṛkṣasya rerivā | kīrtiḥ pṛṣṭhaṃ gireriva |...
--
"ahaM vRkShasya rerivA ... kIrtiH pRShThaM gireriva ..." - taittirIya UpaniShat, anuvAk 10) meaning : I am the growth / evolution (Sanskrit > vRdh > to grow, to manifest) of the tree (of life). I am the eminence like the top of the mountain (that is visible from all sides.)
--
रेः > रयि
रे > रयि > कॄ > कीर्ति > किरण > विकिरण > बिखरना
वृध् > वर्ध् >
ग्लौ >
--
reḥ > rayi
re > rayi > kr̥̄ > kīrti > kiraṇa (English : ray, radiate, radiance)
ग्लौ > glou > shine > glory.
vṛdh > vardh > grow, birth,
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UpaniShat says :
तैत्तिरीय-उपनिषत्
अनुवाक् दशमः
वल्ली 1,
अहं वृक्षस्य रेरिवा । कीर्तिः पृष्ठं गिरेरिव ।...
(रेः इव आ )
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अर्थ : मैं (परब्रह्म) वृक्ष का फैलाव हूँ । पर्वत-शिखर जैसी मेरी कीर्ति है ।
टिप्पणी :
जैसे वृक्ष निरन्तर वर्धमान होता है, जैसे पर्वत-शिखर दूर दूर तक दिखलाई देता है, वैसे ही मनुष्य की वास्तविक आत्मा स्थान और काल में तथा उनसे भी पर निरन्तर गतिशील है, क्योंकि स्थान और काल आत्मा (मैं) से बाहर नहीं हैं । स्थान और काल स्वयं अपना प्रमाण नहीं, उन्हें जाननेवाला आत्मा / मैं ही उनका प्रमाण हूँ ।
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taittirīya-upaniṣat
anuvāk daśamaḥ
vallī 1,
ahaṃ vṛkṣasya rerivā | kīrtiḥ pṛṣṭhaṃ gireriva |...
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"ahaM vRkShasya rerivA ... kIrtiH pRShThaM gireriva ..." - taittirIya UpaniShat, anuvAk 10) meaning : I am the growth / evolution (Sanskrit > vRdh > to grow, to manifest) of the tree (of life). I am the eminence like the top of the mountain (that is visible from all sides.)
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रेः > रयि
रे > रयि > कॄ > कीर्ति > किरण > विकिरण > बिखरना
वृध् > वर्ध् >
ग्लौ >
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reḥ > rayi
re > rayi > kr̥̄ > kīrti > kiraṇa (English : ray, radiate, radiance)
ग्लौ > glou > shine > glory.
vṛdh > vardh > grow, birth,
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