Sunday, 24 December 2017

Matthew 13:12 / मत्ती १३:१२

Whoever has will be given more, and they will have an abundance. Whoever does not have, even what they have will be taken from them. 
-Matthew 13:12.
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What could be such a thing that one could either have or couldn't?
The peace and satisfaction in the heart, gratitude for what one has.
If that peace and gratitude is there in the heart, such a man will not have craving longing for anything else in the world. And will become more and more rich in terms of these Divine Gifts like peace, freedom from desire, love and gratitude. He will keep prospering. However one who is dissatisfied with life, will seek worldly riches that are ultimately taken away from one. Such a man will remain ever in anxiety and whatsoever peace of mind and love in his heart there will too soon vanish, will be no more. And as much he is empty of these Divine Gifts he will be more and more miserable and unhappy.
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जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा, वह और समृद्ध होगा, 
जिसके पास कुछ नहीं है, उससे छीन लिया जाएगा !
-- मत्ती १३:१२
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ऐसा क्या हो सकता है जो किसी के पास होता हो या न होता हो?
हृदय में संतोष और जीवन के प्रति कृतज्ञता, अनुग्रह की भावना ।
यह यदि है तो ऐसे मनुष्य की माँग ही समाप्त हो जाएगी, और उसकी आध्यात्मिक समृद्धि (अर्थात् प्रेम) निरंतर बढ़ती चली जाएगी ।
यह यदि नहीं है तो जो कुछ भी उसे प्राप्त है, अर्थात् भौतिक धन-संपत्ति, वह भी उससे कभी न कभी छीन ही ली जाएगी, और वह जीवन में सदा असंतुष्ट रहेगा, उसकी माँग, प्रेम पाने की चाह उतनी ही तीव्र होगी और उसे कहीं प्रेम प्राप्त होता हुआ अनुभव नहीं होगा ।
इसका दूसरा और अधिक प्रत्यक्ष अर्थ यह है कि जिसने अपनी आत्मा को जान लिया उसके लिए सब-कुछ इस आत्मा में ही है, जिसने आत्मा को नहीं जाना, उसने मानों कुछ पाया ही नहीं, और जो पाया प्रतीत होता है, वह भी उससे छीन लिया जाएगा ।
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