The Venom
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The Venom (विष) is not poison (गरल).
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Venom is about vein, poison is about death.
Wanted to share this with you
Though myself viewed only half of it, and not the full.
And btw, no view about the man who is known as 'Sadhguru' here.
This is for you to view and enjoy / see what you make of it.
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और आजकल मैं तुलसीदास जी की रामचरितमानस पढ़ रहा हूँ।
उपरोक्त घटना कल की है जब मैं बालकाण्ड के दूसरे सर्ग (मासपारायण विश्राम 2) में वृषकेतु और मीनकेतु का प्रसंग पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि मीनकेतु कामदेव हैं। और स्पष्ट हुआ : हाँ !
तभी मेरी छत की मुंडेर पर एक नीलकंठ (kingfisher) आ बैठा।
हम बचपन से उसे नीलकंठ कहते हैं।
तब मुझे ध्यान आया कि नीलकंठ शायद मेरी छत पर जमा पानी को देखकर आया होगा।
फिर मैंने सोचा नीलकंठ मछली क्यों खाता है ?
तब मुझे समझ में आया कि नीलकंठ भगवान शिव का भी एक नाम है और नीलकंठ के रूप में वे मनुष्य की इच्छाओं को 'हर' लेते हैं और इच्छा मछलियों का ही आधिदैविक रूप है।
इस प्रकार 'नीलकंठ' शिव और 'नीलकंठ' पक्षी के बीच सुसंगति बैठ गई।
ऊपर जिस विडिओ का लिंक दिया है उसका title भी ऐसा ही कुछ रहस्यमय है ....
मगर इससे अधिक मेरा इस विडिओ से कोई मतलब नहीं है।
हाँ इस विडिओ में प्रस्तुत दो स्तोत्र तुम्हें अच्छे लगेंगे।
और कोबरा के विष (venom) तथा काली गौ के दूध का मिश्रण तथा उससे शिव का अभिषेक भी अवश्य ही रोचक है लेकिन उस बारे में तुम Life-sciences की student / स्कॉलर होने के नाते और बेहतर जान समझ सकोगी
।। नमः शिवाय।।
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उपरोक्त विडिओ में भगवान शिव के प्रति महर्षि वसिष्ठ-विरचित दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् का वाचन है।
यह स्तोत्र इस प्रकार है :
दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम्
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।1
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।2
भक्तिप्रियाय भवरोगापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।3
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।4
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।5
भानुप्रियाय भवतारणसागराय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।6
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय।
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।7
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।8
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।।
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।। इति महर्षि वसिष्ठविरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।
(गीताप्रेस गोरखपुर - सं 1417 शिवस्तोत्ररत्नाकर से साभार)
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The above is a mail today I sent to some-one.
Wanted to share this here also.
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The Venom (विष) is not poison (गरल).
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Venom is about vein, poison is about death.
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और आजकल मैं तुलसीदास जी की रामचरितमानस पढ़ रहा हूँ।
उपरोक्त घटना कल की है जब मैं बालकाण्ड के दूसरे सर्ग (मासपारायण विश्राम 2) में वृषकेतु और मीनकेतु का प्रसंग पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि मीनकेतु कामदेव हैं। और स्पष्ट हुआ : हाँ !
तभी मेरी छत की मुंडेर पर एक नीलकंठ (kingfisher) आ बैठा।
हम बचपन से उसे नीलकंठ कहते हैं।
तब मुझे ध्यान आया कि नीलकंठ शायद मेरी छत पर जमा पानी को देखकर आया होगा।
फिर मैंने सोचा नीलकंठ मछली क्यों खाता है ?
तब मुझे समझ में आया कि नीलकंठ भगवान शिव का भी एक नाम है और नीलकंठ के रूप में वे मनुष्य की इच्छाओं को 'हर' लेते हैं और इच्छा मछलियों का ही आधिदैविक रूप है।
इस प्रकार 'नीलकंठ' शिव और 'नीलकंठ' पक्षी के बीच सुसंगति बैठ गई।
ऊपर जिस विडिओ का लिंक दिया है उसका title भी ऐसा ही कुछ रहस्यमय है ....
मगर इससे अधिक मेरा इस विडिओ से कोई मतलब नहीं है।
हाँ इस विडिओ में प्रस्तुत दो स्तोत्र तुम्हें अच्छे लगेंगे।
और कोबरा के विष (venom) तथा काली गौ के दूध का मिश्रण तथा उससे शिव का अभिषेक भी अवश्य ही रोचक है लेकिन उस बारे में तुम Life-sciences की student / स्कॉलर होने के नाते और बेहतर जान समझ सकोगी
।। नमः शिवाय।।
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उपरोक्त विडिओ में भगवान शिव के प्रति महर्षि वसिष्ठ-विरचित दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् का वाचन है।
यह स्तोत्र इस प्रकार है :
दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम्
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।1
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।2
भक्तिप्रियाय भवरोगापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।3
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।4
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।5
भानुप्रियाय भवतारणसागराय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।6
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय।
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।7
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय।।8
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।।
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।। इति महर्षि वसिष्ठविरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।
(गीताप्रेस गोरखपुर - सं 1417 शिवस्तोत्ररत्नाकर से साभार)
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