प्रश्न : आत्मा अमर है, फिर किस के अमरत्व के लिए होता है कुम्भ पर्व?
Question : 'Self' is deathless, why then this kumbha-parva is celebrated?
उत्तर / Answer :
सत्प्रत्ययाः किं नु विहाय सन्तं ?
हृद्येष चिन्तारहितो हृदाख्यः ।
कथं स्मरामस्तममेयमेकं ?
तस्य स्मृतिस्तत्र दृढैव निष्ठा ॥
मृत्युञ्जयं मृत्युभयाश्रितानाम्,
अहं-मतिर्मृत्युमुपैति पूर्वम् ।
अथस्वभावादमृतेषु तेषु,
कथं पुनर्मृत्युधियोऽवकाशः ? ॥
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Question : 'Self' is deathless, why then this kumbha-parva is celebrated?
उत्तर / Answer :
सत्प्रत्ययाः किं नु विहाय सन्तं ?
हृद्येष चिन्तारहितो हृदाख्यः ।
कथं स्मरामस्तममेयमेकं ?
तस्य स्मृतिस्तत्र दृढैव निष्ठा ॥
मृत्युञ्जयं मृत्युभयाश्रितानाम्,
अहं-मतिर्मृत्युमुपैति पूर्वम् ।
अथस्वभावादमृतेषु तेषु,
कथं पुनर्मृत्युधियोऽवकाशः ? ॥
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कृपया हिंदी में बताएँ !
Those who have overcome the fear of death by surrendering their ego to Lord celebrate this parva, and those who bath in shipra / ganga / yamuna / godavari surrender their ego / to Lord and get rid of fear of death, become immortal and one with the Lord.
जिन्होंने अपना अहंकार प्रभु को अर्पित कर दिया है, वे तो मृत्यु-भय से मुक्त होने के कारण इस पर्व को मनाते हैं, और दूसरे इसलिए ताकि गंगा / यमुना / शिप्रा / गोदावरी में स्नान कर अपना अहंकार प्रभु को अर्पित कर आत्मा के अमर होने के सत्य को प्रत्यक्ष जान सकें ।
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