Thursday, 11 May 2017

एवं मे श्रुतं -1. / evaṃ me śrutaṃ -1.

॥ धम्मचक्कप्पवत्तनसुत्त ॥
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पालि
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ॐ नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स ।
एवं मे सुतं, एकं समये भगवा बाराणसियं विहरति इसिपतने मिगदाये ।
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pāli
om̐ namo tassa bhagavato arahato sammāsambuddhassa |
evaṃ me sutaṃ, ekaṃ samaye bhagavā bārāṇasiyaṃ viharati isipatane migadāye |
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संस्कृतं
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ॐ नमो तस्मै भगवते अर्हते सम्म्यक्-संबुद्धाय ।
एवं मे श्रुतं एके (एकस्मिन्) समये भगवा (भगवान्) वाराणस्याम् विहरति (स्म) ऋषिपत्तने मृगदावे ।
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saṃskṛtaṃ
om̐ namo tasmai bhagavate arhate sammyak-saṃbuddhāya |
evaṃ me śrutaṃ eke (ekasmin) samaye bhagavā (bhagavān) vārāṇasyām viharati (sma) ṛṣipattane mṛgadāve |
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हिंदी
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ॐ उन भगवान् अर्हत् सम्म्यक्-संबुद्ध को नमन !
ऐसा मेरे द्वारा सुना गया : एक समय भगवान् वाराणसी में ऋषिपत्तन नामक मृगवन में विहार कर रहे थे ।
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English :
om̐ Obeisance at the feet of the Lord The Blessed Enlightened One !
Thus have I heard :
On one occasion the Blessed One was dwelling in the Deer-Park at ṛṣipattan (abode of ṛṣi).
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