अर्थ और प्रयोजन -2.
वस्तुओं और घटनाओं का कारण और प्रयोजन होता है जबकि विचार का अर्थ होता है, जो पुनः एक विचारमात्र होता है । चूँकि विचार शब्दाश्रित होता है इसलिए किसी भाषा में व्यक्त विचार का दूसरी किसी भाषा में अनुवाद या अर्थ किया जा सकता है किन्तु यदि उससे कोई प्रयोजन न सिद्ध होता हो तो वह कोरी बौद्धिक गतिविधि होता है । दूसरी ओर प्रयोजन को यद्यपि विचार से व्यक्त किया भी जा सकता है किन्तु तब उस विचार का संप्रेषण होने के बाद कोई उसका क्या तात्पर्य ग्रहण करेगा यह तय नहीं किया जा सकता ।
इसलिये ’जीवन’ का प्रयोजन तो है किन्तु अर्थ क्या है यह कह पाना कठिन है । जीवन का एक प्रयोजन यह भी हो सकता है कि ’उसे’ जान लिया जाए जो जन्म-मृत्यु से अछूता है ।
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वस्तुओं और घटनाओं का कारण और प्रयोजन होता है जबकि विचार का अर्थ होता है, जो पुनः एक विचारमात्र होता है । चूँकि विचार शब्दाश्रित होता है इसलिए किसी भाषा में व्यक्त विचार का दूसरी किसी भाषा में अनुवाद या अर्थ किया जा सकता है किन्तु यदि उससे कोई प्रयोजन न सिद्ध होता हो तो वह कोरी बौद्धिक गतिविधि होता है । दूसरी ओर प्रयोजन को यद्यपि विचार से व्यक्त किया भी जा सकता है किन्तु तब उस विचार का संप्रेषण होने के बाद कोई उसका क्या तात्पर्य ग्रहण करेगा यह तय नहीं किया जा सकता ।
इसलिये ’जीवन’ का प्रयोजन तो है किन्तु अर्थ क्या है यह कह पाना कठिन है । जीवन का एक प्रयोजन यह भी हो सकता है कि ’उसे’ जान लिया जाए जो जन्म-मृत्यु से अछूता है ।
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