Wednesday, 13 March 2019

ज़मीर / Conscience

Cancer : of the brain.
ज़मीर
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अपने अध्ययन के दौरान मैंने अपने लिए भाषाशास्त्र की जिस तकनीक का आविष्कार किया वह था भाषा के उद्गम का वैदिक सन्दर्भ । विस्तार से देखने के लिए आप मेरे इस ब्लॉग के 'अदिति' से संबंधित तथा दूसरे पोस्ट्स देख सकते हैं।  इसी तकनीक पर आधारित एक छोटा सा उदाहरण इस प्रकार है :
'ज़मीर' शब्द जिसका अंग्रेज़ी समतुल्य (equivalent) 'conscience' हो सकता है, अवश्य ही संस्कृत 'समीर' का सज्ञाति / cognate है ।  इसे इस प्रकार देखा जा सकता है :
सं + ईर् के दो पदों 'सं' और 'ईर्' में से प्रथम 'सं' उपसर्ग है, जो सम्यक् या संक्षिप्त, सारतत्व के अर्थ को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होता है । इसी प्रकार 'ईर्' धातु ('ईर्' -- ईर्यते) का प्रयोग प्रेरणा के अर्थ में होता है । 'प्रेरणा' भी पुनः  'प्र' उपसर्ग और 'ईरणा' के संयोग से बनता है ।
वर्ण-साम्य (figurative transform) और ध्वनि-साम्य (Onomatopoeia) के द्वारा समीर (जिसका एक अर्थ बहती हुई पवन भी होता है) का रूपांतर होने से 'ज़मीर' प्राप्त होता है । संस्कृत में इसके लिए अधिक उपयुक्त शब्द है 'विवेक'; -विवेक भी पुनः उसी 'विवेच्य', 'विवेचना' का समानार्थी है, जिसका अंग्रेज़ी समतुल्य discrimination between the true and the false; good and evil, right and wrong   होता है । विवेक और विचार में से विवेक Intelligence  के समतुल्य है जबकि विचार  'thought' का समानार्थी है । विचार से हमें कोई परिणाम (conclusion) प्राप्त होता है जबकि विवेक से हमें निर्णय (decision). निर्णय ('नि' उपसर्ग के साथ 'नी - नयति' - ले जाता है) का अर्थ है "जहाँ से अन्यत्र नहीं जाया जा सकता"। इसी प्रकार 'निष्ठा' और 'निगम' शब्द की संरचना को भी समझा जा सकता है । 'decision' भी पुनः संस्कृत के दो पदों 'द्वि' तथा 'छिद्' धातु का संयोग है। 'द्वि' से हमें 'di' प्राप्त होता है जिसे carbon-dioxide जैसे शब्दों में यथावत देखा जा सकता है।  'छिद्' से ही हमें इसके समानार्थी अंग्रेज़ी 'cede' तथा 'cease' शब्द प्राप्त होते हैं ।
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चलते-चलते : मुझे नहीं पता कि सुप्रसिद्ध अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन जी इस विडिओ को देखने के लिए समय निकाल सके होंगे । आकाशवाणी पर जितने भी विज्ञापन सुनाए जाते हैं, -जिनमें आयोडीन-नमक या पोलियो तथा दूसरे रोगों के लिए 'पाँच-साल सात बार' का ज़िक्र होता है सुनते हुए मैं प्रायः सोचता हूँ कि 'लोभ पाप का मूल है' कितना बड़ा सत्य है ! वैसे अविवेकपूर्ण भय भी पाप का मूल है, यह भी इतना ही बड़ा सत्य है । ---       
                          

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