PROBLEMATICS
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समस्या-शास्त्र / प्रॉब्लमैटिक्स----------------©--------------
कुछ दिनों पहले इस विषय पर अंग्रेजी में दो-तीन पोस्ट्स लिखे थे। हिन्दी में लिखने का मन हुआ तो सोचा, यहाँ लिखा जाना उचित होगा।
संबंध समस्या होता है और समस्या संबंध। यद्यपि इस पर कभी ध्यान ही नहीं जाता। संबंध एक ऐसी चीज़ है जिसके आवश्यक रूप से दो सिरे होते हैं। और इसलिए किसी भी संबंध के बारे में यह सत्य है इन दो सिरों के बीच कोई न कोई दूरी सदैव होती है। कभी लगता है कि यह दूरी सिमटकर मिट गई है किन्तु थोड़े या कुछ अधिक लम्बे समय के बीत जाने पर लगता है कि यह दूरी ऐसी है जिसका मिट पाना लगभग असंभव है!
'विचार' यही दूरी है!
क्या विचार मिट सकता है? क्या विचार अमर है? क्या विचार ही मन है? क्या मन अमर है? मन के अमर होने या न होने का प्रश्न भी, क्या विचार ही नहीं है?
स्पष्ट है कि कुछ / कोई है, जिसका संबंध मन से है, और वह कुछ या कोई, अपने-आप को 'मन' कहता है। या शायद, यद्यपि ऐसा कुछ / कोई कहीं है ही नहीं, बल्कि यह केवल मन / विचार है।
तो क्या विचार करनेवाला मन से पृथक् है?
यही विचार और विचारक के बीच का संबंध है। और यह संबंध क्या कभी पूरी तरह समाप्त हो सकता है? फिर भी राहत की बात यह है कि विचारों के आने-जाने के क्रम की जागरूकता न तो विचार है, न व्यक्ति और न कोई तथाकथित 'मैंं'! क्योंकि 'मैं' का अस्तित्व विचार पर अवलंबित है तथा विचार का अस्तित्व 'मैं' पर। अर्थात् जब तक यह 'मैं' है, यह 'मैं' विचार के ही रूप में अस्तित्वमान (प्रतीत) होता है, और विचार-मात्र इस प्रतीति पर ही। अतः निष्कर्ष यह, कि प्रतीति स्वरूपतः न तो विचार है, और न ही विचार स्वरूपतः प्रतीति है! प्रतीति निर्वैयक्तिक सत्य है, जबकि विचार स्वरूपतः अपरिहार्य रूप से वैयक्तिक प्रकार की कोई वस्तु। इसलिए "मैं सोचता हूँ।" या "मेरा विचार है कि" जैसे वक्तव्य मूलतः विसंगतिपूर्ण और विरोधाभासयुक्त हैं। क्योंकि इससे विचार (thought) और विचारक (thinker) के एक दूसरे से दो भिन्न भिन्न और स्वतंत्र अस्तित्व होने का भ्रम पैदा होता है।
फिर निर्विचार मन क्या है?
क्या निर्विचार जागरूकता ही वह वस्तु नहीं है जिसमें प्रतीति का आभास सतत क्रीडारत है? क्या यह निर्विचारता, निजता भी नहीं है जिसे जन्म, मृत्यु या काल छू भी नहीं सकते?
क्या विचार इस निजता को कभी जान और समझ सकता है?
क्या विचार इसे कभी कह सकता है?
क्या इस बारे में कोई वक्तव्य दिया जा सकना संभव है?
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