शिव-शक्ति की क्रीडा
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The immutable (अविकारी / स्वरूप) is सार / शिव।
The changing / phenomenal is प्रकृति / शक्ति।
These are but two aspects of the One (?) Reality.
श्री देवी अथर्वशीर्ष में देवी (शक्ति) कहती है,:
मैं एक हूँ, मैं एक नहीं (अनेक) हूँ, मैं शून्या हूँ, मैं अशून्या हूँ।
शून्य के दो अर्थ होते हैं :
एक अभाव (absence) तो दूसरा संख्या की तरह।
अभाव वाला शून्य किसी चीज़ / सत्ता के अभाव का द्योतक है, जबकि संख्यावाला शून्य केवल गणितीय device है जो किसी संख्या में से उसी संख्या को घटाने से पाया जाता है।
इस तरीके से गणित का तथाकथित विकास (manifestation) होता है किन्तु इसीलिए वह सत्य (शिव) का स्थान नहीं ले सकता।
इसीलिए सभी पुराण भी किसी दृष्टि से सत्य हैं, तो दूसरी किसी दृष्टि से कल्पना मात्र है;
-परम सत्य तो शिव ही है।
और शिव भी शक्ति के बिना शव जैसा निष्क्रिय है।
किन्तु क्या कोई शव स्वयं के शव होने को announce करता है?
कोई दूसरा चेतन तत्व / मनुष्य ही उसे 'शव' कहता है।
क्या चेतन तत्व स्वयं ही नित्य जीवन नहीं है?
और जीवन की पहचान हमेशा या तो शिव की तरह, या शक्ति की तरह ही होती है।
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Links within :
शून्य-लक्षणं / śūnya-lakṣaṇaṃ,
शून्यमाहात्म्यम्-स्तोत्रम् / śūnyamāhātmyam-stotram,
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The immutable (अविकारी / स्वरूप) is सार / शिव।
The changing / phenomenal is प्रकृति / शक्ति।
These are but two aspects of the One (?) Reality.
श्री देवी अथर्वशीर्ष में देवी (शक्ति) कहती है,:
मैं एक हूँ, मैं एक नहीं (अनेक) हूँ, मैं शून्या हूँ, मैं अशून्या हूँ।
शून्य के दो अर्थ होते हैं :
एक अभाव (absence) तो दूसरा संख्या की तरह।
अभाव वाला शून्य किसी चीज़ / सत्ता के अभाव का द्योतक है, जबकि संख्यावाला शून्य केवल गणितीय device है जो किसी संख्या में से उसी संख्या को घटाने से पाया जाता है।
इस तरीके से गणित का तथाकथित विकास (manifestation) होता है किन्तु इसीलिए वह सत्य (शिव) का स्थान नहीं ले सकता।
इसीलिए सभी पुराण भी किसी दृष्टि से सत्य हैं, तो दूसरी किसी दृष्टि से कल्पना मात्र है;
-परम सत्य तो शिव ही है।
और शिव भी शक्ति के बिना शव जैसा निष्क्रिय है।
किन्तु क्या कोई शव स्वयं के शव होने को announce करता है?
कोई दूसरा चेतन तत्व / मनुष्य ही उसे 'शव' कहता है।
क्या चेतन तत्व स्वयं ही नित्य जीवन नहीं है?
और जीवन की पहचान हमेशा या तो शिव की तरह, या शक्ति की तरह ही होती है।
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शून्यमाहात्म्यम्-स्तोत्रम् / śūnyamāhātmyam-stotram,
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