Sunday, 18 September 2016

मनुस्मृतिः / मांसाहार

मनुस्मृतिः
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अध्याय 5, श्लोक 55
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मां सः भक्षयिता अमुत्र
यस्य मांसं इह अद्मि अहम् ।
एतत्-मांसस्य मांसत्वं
प्रवदन्ति मनीषिणः ॥
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अर्थ :
वह उस परलोक में मुझे खाता है, जिसका मांस मैं इस लोक में खाता हूँ । मनीषी इसे ही मांस का मांसत्व कहते हैं !
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manusmṛtiḥ 
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Chapter / adhyāya 5, 
stanza / śloka 55
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māṃ saḥ bhakṣayitā amutra
yasya māṃsaṃ iha admi aham |
etat-māṃsasya māṃsatvaṃ 
pravadanti manīṣiṇaḥ ||
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One whose flesh I consume in this world (life), consumes my own in the next world (life).
This is indeed the meaning of māṃsaḥ (flesh).
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