Tuesday, 29 September 2015

ग्रीष्म-अयनान्त / grīṣma-ayanānta / Summer-Solstice.

ग्रीष्म-अयनान्त / grīṣma-ayanānta .
Summer-Solstice.  

महालये तु प्रारंभे पितरः आगच्छन्ति वै ।
तर्पणेन तुष्टिर्भूते प्रयान्ति ते धामं स्वकं ॥
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mahālaye tu prāraṃbhe pitaraḥ āgacchanti vai |
tarpaṇena tuṣṭirbhūte prayānti te dhāmaṃ svakaṃ ||
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अर्थ :
महालय प्रारंभ होते ही, (शारदीय नवरात्र के प्रारंभ होने से पहले के श्राद्ध-पक्ष में) पितर अवश्य ही मृत्युलोक में अपने वंशजों को देखने के लिए आते हैं, और तर्पण से प्रसन्न होकर पुनः अपने निज धाम (सूर्यलोक) को लौट जाते हैं ।
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Meaning :
At the time of summer-solstice, Manes (the departed souls) do come on the earth to see their descendants and when offered due respects, are satisfied and return to their heavenly abode (The Solar plane) happily.
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