Monday, 27 December 2021

संस्कृत नूतनरचना

सद्योमुक्तिः 27-12-2021

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सङ्कल्पो अयं हि कर्ता अहंबुद्धिः अहंमतिः ।

मनो एव अयं भोक्ता स्मृतिरेव विस्मृतिः ।।

मोहः एव अयं स्वामी ज्ञातृत्वमेव हि ज्ञाता ।

बोधोऽयं हि आत्मनो विवेको सद्योमुक्तिः ।।

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अर्थ :

सङ्कल्प यही वस्तुतः कर्ता है, 

अहंबुद्धि ही यह अहंकार है,

मन यही वस्तुतः भोक्ता है, 

स्मृति ही (आत्म-)विस्मृति है ।

मोह यही स्वामी (स्वामित्व-भावना) है,

ज्ञातृत्व (अभिमान) यही ज्ञाता है,

यह (इस प्रकार का) बोध ही आत्म-(अनात्म) का विवेक है,

यही विवेक और सद्योमुक्ति है ।

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