पाँचवाँ स्तम्भ
---------©--------
इसी 12 जून 2021 को 'अहंकार' शीर्षक से एक पोस्ट अंग्रेजी और हिंदी में लिखा था। एक पाठक से, जो कि केवल हिंदी ही अधिक अच्छी तरह जानते हैं, हिंदी में इस पोस्ट का कथ्य कभी कहा था, जिसके अनुसार अहंकार रूपी भवन की नींव जिन चार स्तम्भों पर खड़ी होती है, उन्हें क्रमशः :
कर्तृत्व, भोक्तृत्व, ज्ञातृत्व और स्वामित्व
का नाम दिया जा सकता है।
अभी दो मिनट पहले जब वे अपने भतीजे को यह जानकारी दे रहे थे तो उन्हें 'भोक्तृत्व' याद नहीं आया। तो उन्होंने फ़ोन कर पूछा ।
मैंने उनसे कहा यह जानकारी अधूरी है।
वे बोले 'क्यों?'
मैंने कहा :
"कुश्ती सिखानेवाला गुरु भी वक्त बेवक्त के लिए एक दाँव चेले से छिपाकर रखता है।
वे बोले :
"कब बताएँगे?"
मैंने कहा :
"आप खुद पता लगा लीजिए, अगर पता नहीं लगा पाए, तो ज़रूर पूछ लीजिए।"
और यह कहकर मैंने फ़ोन काट दिया।
***
No comments:
Post a Comment