Wednesday, 30 December 2015

Awareness / ज्ञप्ति

Awareness / ज्ञप्ति

--
केवलं ज्ञप्तिमात्रं स्वरूपमात्मनः यः
भवति स देहे ज्ञप्तिरूपो हि जीवो,
विज्ञप्तिं वा विज्ञानं गृहीत्वा दृढेन,
भुङ्क्ते सुख-दुःखानि क्लेशानि बहूनि ॥
--
kevalaṃ jñaptimātraṃ svarūpamātmanaḥ yaḥ
bhavati sa dehe jñaptirūpo hi jīvo,
vijñaptiṃ vā vijñānaṃ gṛhītvā dṛḍhena,
bhuṅkte sukhā-duḥkhāni kleśāni bahūni ||
--
अर्थ :
मनुष्य की आत्मा 'मैं'-विचार से रहित विशुद्ध चैतन्य / ज्ञप्तिमात्र है वही 'देह' के विचार से बंधकर 'जीव' हो जाती है।  इस दृढ विपरीत ज्ञान, - विज्ञप्ति अर्थात विज्ञान से ग्रस्त होकर वह जीवन में आने-जानेवाले बहुत से सुखों दुःखों और क्लेशों का भोग करती है।
-- 

Meaning :
ज्ञप्ति > jñapti > अवज्ञप्ति > avajñapti > Egypt, gypsy,
Man's wandering soul (self) is but pure consciousness only. The same puts on the garb of a 'body' and keeps wandering as a 'jIva' / 'Gypsy'. The consciousness thus becomes vijñaptiṃ or vijñānaṃ, that is different from the true inherent wisdom of the 'Self'. And then one appears to experience the many pleasures, sorrows, and pains that one comes across in life.
--

No comments:

Post a Comment