What Might Have Gone Wrong?
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क्या हिन्दू / हिन्दुत्व कोई राजनीतिक सिद्धान्तवाद / Political Ideology है?
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दुर्भाग्य और प्रमाद से हिन्दू / हिन्दुत्व के पक्षधरों ने असावधानी से हिन्दू / हिन्दुत्व को रिलीजन कहकर, अन्य सभी रिलीजन्स के धरातल पर, उनकी तुलना में एक और मतवाद / राजनीतिक सिद्धान्तवाद (Political Ideology / Philosophy) की तरह से स्थापित कर दिया, जिससे न केवल पूरे सनातन धर्म की अपूरणीय क्षति ही हुई, बल्कि सनातन-धर्म के दूसरे रूपों - जैन, बौद्ध, सिख आदि समुदायों के भी हिन्दू रिलीजन / हिन्दुत्व से भिन्न प्रकार के होने का भ्रम पैदा किया, और फैलाया गया।
इस प्रकार से जो विवाद पैदा किया गया, उससे जो लाभ 'हिन्दू' से इतर समुदायों को अनायास प्राप्त हुआ, वह तो अपने स्थान पर है ही, किन्तु समाज, संस्कृति आदि की दृष्टि से हिन्दुत्व के अपने सनातन-स्वरूप में जिनकी आस्था है, उनके बीच भी वह विवाद, एक दूसरे के प्रति वैमनस्य का कारक बना।
शायद यही वह एकमात्र और अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण भूल थी, जिस पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो।
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