Tuesday, 27 June 2023

डायरी या ब्लॉग?

डायरी या ब्लॉग?

क्षण या अवधि, पहचान या स्मृति? 

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अचानक अपने ब्लॉग अतीत पर दृष्टि जाती है, तो खयाल आया इससे बहुत पहले मैं डायरी लिखा करता था। डायरी में लिखा कुछ सुधारना संभव नहीं होता, जबकि ब्लॉग में लिखे पोस्ट को डिलीट किया जा सकता है। डायरी में भी मैं ऐसा कुछ लिखता ही नहीं था जिसे बाद में सुधारना पड़ता। तमाम डायरियाँ अब कहाँ हैं, न तो ठीक से कुछ पता न याद है। 

अतीत स्मृति की पहचान है और स्मृति अतीत की। और दोनों ही अन्योन्याश्रित वृत्ति हैं, इसलिए न तो डायरी का और न ही ब्लॉग में लिखे गए पोस्ट का कोई महत्व है। तात्कालिक दृष्टि से उपयोग हो सकता है। उपयोग भी सिर्फ यही कि समय काटने का यह एक साधन है। समय क्या है? समय वृत्ति है और क्षण या अवधि होता है। दोनों ही पानी पर उठी लहर की तरह शीघ्र ही विलीन हो जाते हैं। तब इससे फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी अवधि कितनी छोटी या बड़ी थी।

एक पुराना पोस्ट देखते हुए ऐसा ही लग रहा था। 

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