Monday, 23 July 2018

आत्म-स्मृति और आत्म-बोध

सुप्रभात
गंध पृथिवी तत्त्व है,
स्मृति / ’याद’ चंद्र है,
चन्द्र पृथिवीपुत्र है,
गंध पृथ्वी और पवन का पुत्र है,
गंध स्मृति का वाहन / वाहक है,
गंध स्मृति जगाता है,
स्मृति गंध को,
यदि स्मृति गंध को जगा सके तो तत्क्षण ही स्वप्न-सृष्टि हो जाती है,
इसलिए किसी गंध से कोई स्मृति जाग जाती है,
किंतु मूल-स्मृति तो आत्म-स्मृति है, जो स्मृति भी नहीं साक्षात आत्म-बोध है,
गंध, स्मृति सा साकार निराकार, उनका अधिष्ठान, उनसे परे ....
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बेला महका रे महका आधी रात को !

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